डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
अमरोहा जनपद की तहसील धनौरा के पौधारोपण प्रेमी उपजिलाधिकारी मांगेराम चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल को पत्र भेजकर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में पौधारोपण जोड़ने के लिए कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने इसमें उल्लेख किया है कि एक टीवी चैनल पर प्रसारित समाचार जिसमें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली का तापमान वर्ष 2019 के माह जून में लगभग 50 डिग्री सेल्सियस के आसपास बताया जा रहा था को सुनकर जब मैं तत्कालीन तैनाती स्थल तहसील नौगावां सादात पहुंचा तब थाना पुलिस नौगावां सादात द्वारा भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 107/116/151 के अंतर्गत शांति भंग की आशंका के दृष्टिगत दो व्यक्तियांे को मेरे समक्ष प्रस्तुत किया गया। जब उनसे विवाद का कारण पूछा तो उक्त दोनों व्यक्ति कारण बताते हुए आपस में विवाद करने लगे तो टीवी चैनल पर चल रहे समाचार में पृथ्वी के बढ़े तापमान के सादृश्य उन व्यक्तियांे के बढ़े तापमान में समानता का अनुभव हुआ।
10,000 से अधिक पौधों का रोपण कराया
तत्काल विचार उत्पन्न हुआ कि उक्त व्यक्तियांे को ऐसा रचनात्मक दायित्व दिया जाए, जिससे उनके तापमान के साथ-साथ पृथ्वी के तापमान में कमी आए। इस क्रम में गिरफ्तार व्यक्ति को 05 वृक्ष तथा उनके दो जामनती को एक-एक वृक्ष स्वयं उनके खर्चें पर लगाकर पालने की जिम्मेदारी देना आरंभ किया। अग्रिम तिथि पर उपस्थिति के समय वृक्षों के लगाए जाने के फोटोग्राफ दाखिल करने को कहा गया। इस योजना के तहत लगभग 10,000 से अधिक पौधों का रोपण कराया जा चुका है। पिछले वर्ष के उपलब्ध आंकड़ों के परिशीलन से विदित हुआ कि यदि इस योजना के अनुसार वृक्षारोपण कराया जाए तो उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 78,00,000 अठ्हत्तर लाख वृक्ष अभियुक्त एवं उनके जमानतियों के द्वारा उनके खर्चें से दंड स्वरूप प्रतिवर्ष लगवाए जा सकते हैं। अगर पूरे भारतवर्ष के संदर्भ में देखा जाए तो वृक्षों की एक बड़ी संख्या रोपित कराई जा सकती है। लेकिन इसको कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने हेतु दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 111 व 116 (3) में संशोधन की आवश्यकता होगी।
अभियुक्त एवं उनके जमानतियों के लिए स्वयं के खर्चे पर सात वृक्ष स्वयं के आवास, पशुशाला, खेत अथवा उपलब्ध सरकारी भूमि पर रोपित करे। रखे जाने का संशोधन कर वृक्षारोपण की शर्त को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जा सकता है।
उन्होंने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल सेसर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर अथवा भारत सरकार के समक्ष पर्यावरण हित में तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कराने की मांग की है।