डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
बार एसोसिएशन जनपद अमरोहा के द्वारा पूर्व वर्षाे की भांति इस वर्ष भी मनाया गया । जिसमें अधिवक्ताओं ने भारतीय गणतंत्र की मूल भावना के नाम से विचार गोष्ठी आयोजित किया एवं संविधान पर विस्तृत प्रकाश डाला।
संविधान दिवस पर गोष्ठी
जनपद न्यायालय स्थित बार रूम में संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय गणतंत्र की मूल भावना विषय पर विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चौधरी महाराज सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना भारत का संविधान है । जिसे 26 नबंवर 1949 को अंगीकृत किया गया था। इसलिए ही भारत सरकार ने इसे विगत वर्ष से संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था । जबकि पहले इसे विधि दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।
अधिवक्ता कानून के रक्षक
बार एसोसिएशन के सचिव चौधरी आलोक कुमार ने कहा कि हम अधिवक्तागण इस संविधान के एवं कानून के रक्षक एवं प्रहरी के रूप में जाने जाते हैं जिनका यह परम कर्तव्य होता है कि वह अपने इस पवित्र संविधान की रक्षा करें और उसमें होने वाले प्रत्येक अतिक्रमण पर अपनी संपूर्ण जिम्मेदार इसका परिचय देते हुए उसे तार-तार होने से बचा सके । भारतीय लोकतंत्र में प्रत्येक स्तंभों संसद, न्यायपालिका व कार्यपालिका के कार्याे का विभाजन संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है । इस लिए देश में जो सर्वाेपरि कानून या विधायन है वो संविधान ही है । जिसकी मूल भावना से इतर कोई भी स्तंभ व कानून कार्य नही कर सकता ।
देश का सर्वाेपरि कानून हमारा संविधान ही
इसलिए हमें अपने संविधान को एक पवित्र कानूनी ग्रंथ की तरह समझना और जानना चाहिए । जो कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पाठ हमें भलि भांति पढ़ाता है एवं हमारे कानूनी कर्तव्यों व दायित्वो को भी परिभाषित करता है। इस लिए हमें किसी भी दशा में अपने संविधान की अनदेखी से बचना चाहिए । यही हमारा नैतिक मूल्य है उन्होंने कहा हमारे देश का सर्वाेपरि कानून हमारा संविधान ही है ।जिससे हठकर कोई भी कानून काम नही करता है।
इस मौके पर मौजूद रहे
विचार गोष्ठी का संचालन अधिवक्ता मनु शर्मा ने किय। पंकज कुमार, राजीव गोले, वीर सिंह, पवन वर्मा, खुसरों नदीम , दिनेश सिंह, शैलेंद्र सिंह सोनू, अर्जुन सिंह, प्रदीप कुमार, अंकित कुमार, प्रमोद कुमार, अरविंद सिंह,चौधरी यशपाल, देवेंद्र सिंह पाल, विजय सिंह, एम.सरवर, मनोज यादव, देवेंद्र सिंह, राजपाल सैनी, मुजाहिद हुसैन, संजीव जिंदल, इरफान अली मंसूरी, दाऊद , श्रवण सैनी, देशराज सैनी, सचिन जैन, शिवांग यादव, सचिन गुप्ता, धनीराम, कावेद्र सिंह ,खेम सिंह आदि अधिवक्ताओं ने विचार व्यक्त कियें।