अशोक मधुप/सनशाइन न्यूज………………………..
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने हाल में कहा है कि कांग्रेस के रवैये से भाजपा मजबूत हो रही है। उसके कार्यों से भाजपा को ताकत मिल रही है। देखने से लग भी ऐसा ही रहा है। कांग्रेस के उच्च नेतृत्व की गलती से पंजाब में कांग्रेस दो फाड़ हो गई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये से पंजाब में कांग्रेस विभाजित हो गई। पार्टी के मजबूत स्तंभ कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी अलग बना ली।
कांग्रेस को लगता था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद वहां की राजनीति में गुटबंदी खत्म हो जाएगी, उसमें आया भूचाल रूक जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं । पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का विधवा विलाप पहले भी जारी था,अब भी जारी है। पार्टी के वर्तमान मुख्यमंत्री को कमजोर करने के उनके षडयंत्र कम नहीं हुए।
पुराने क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार में मंत्री रहे। बड़बोलेपन के कारण उन्होंने मंत्री पद छोड़ा। कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोध जारी रखा। कांग्रेस हाई कमान कैप्टन अमरिंदर सिंह के बढ़ते कद से नाराज थी। उसने नवजोत सिंह सिद्धू को बढाया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कमजोर करने के लिए सिद्धू को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू को और पर लग गए। कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोध और बढ़ गया।गुटबंदी घटने की जगह बढ़ी।पार्टी के रवैये का देख अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, पार्टी ने ऐसा नहीं होने दिया।पार्टी उन्हें कैप्टन के हटाने तक इस्तेमाल करना चाहती थी, उतना ही उसने किया। ऐसे हालात बनने की कैप्टन मंत्रिमंडल के सदस्य चरणजीत सिंह चन्नी को मुखयमंत्री बनाया गया। शुरूआत में तो सिद्धू उन्हें साथ लेकर घूमे।सिद्धू को लगा था कि मुख्यमंत्री चन्नी उसके पांव पर ही चलेंगे,अप्रत्यक्ष रूप से वे ही मुख्यमंत्री होंगे,पर ऐसा हुआ नहीं ।कहना न मानते देख सिद्धू चन्नी के विरोध पर उतर आए। कांग्रेस उच्च नेतृत्व ने पहले तो ध्यान नहीं दिया। चुप्पी साधे रहा कि खुद ही ठीक हो जाएगा।कुत्ते की टेढी हुई दुम कितने ही साल नलकी में रखो,वह कभी सीधी नहीं होती । ये कहावत सिद्धू पर पूरी तरह फिट बैठती है। अपनी न चलती देख उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया।अब पार्टी की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी सक्रिय हुईं। सिद्धू और मुख्यमंत्री चरण सिंह चन्नी को बुलाकर समझाया।नवजोत सिंह सिद्धू को साफ कहा कि जो कहना है पार्टी के अंदर कहें बाहर नहीं।
अपनी आदत से मजबूर सिद्धू ने दिल्ली से वापिस आते ही प्रेस को फिर मुख्य मंत्री चन्नी को लेकर बयान जारी कर दिया।चन्नी की घोषणाओं का विरोध शुरू कर दिया।
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने हाल में कहा था कि सिद्धू के रवैये को देखते हुए पार्टी हाई कमान का उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लेना चाहिए था, पर हुआ नहीं। ऐसा हो जाता तो पार्टी का विवाद खत्म हो जाता। ये भी हो सकता था कि मनाने पर कैप्टन मान जाते।पार्टी का विभाजन टल जाता।अलग पार्टी न बनाते।
अब हालात यह हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी से अलग हो गए। उन्होंने अपनी पार्टी बना ली।वे कांग्रेस में लंबे समय रहे हैं।उनके पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से संबंध है। ये कटु सत्य है कि वे गए हैं तो पार्टी के अन्य नाराज कार्यकर्ता और नेता भी उनके साथ जांएगे।कैप्टन के अलग पार्टी बनाने से कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा। सिद्धू के रवैये में कोई अंतर नही आया। उनका अपना रूदन जारी है। जब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी मनचाही नहीं हो जाती। पार्टी उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बना देती। वैसे उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र वापिस लेने की बात कही है।पर आरोप वे लगातार लगा रहे है ।ऐसे में दूसरा रास्ता बचता है सिद्धू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए ।अब कांग्रेस हाई कमानको सोचना होगा कि वह क्या करे। सिद्धू को मुख्य मंत्री बनाना चन्नी और कुछ अन्य को पंसद नहीं होगा। अगर पार्टी ऐसा करती है तो उन्हें भी खोएगी।
(लेखक अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार हैं)