डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
दुनिया के लिए शलभ हूं मैं,
मगर मां, तुम्हारे लिए तो,
आज भी वही राजू हूं मैं।
यूं तो दोनों नाम मुझे,
तुमने ही तो दिए थे।
आपके और पापा के,
जाने के बाद राजू,
घर में कहीं गुम हो गया है।
बहुत तलाश किया मैंने,
परन्तु कहीं मिला नहीं।
जीवन की आपा थापी में,
राजू कहां लापता हो गया,
किसी को पता ही नहीं चला।
घर की दीवारें को भी,
यह नाम अब याद नहीं।
आज भी मेरे कानों में,
आपकी आवाज गूंजती है।
अक्सर महसूस होता है मुझे,
अभी मुझे आवाज़ देकर,
मां, तुम बुलाओगी मुझे।
बचपन की शैतानियां अब,
घर की जिम्मेदारियों में,
बदल गईं हैं शायद।
यूं तो बड़ा हो गया हूं मैं,
मगर मां, तुम्हारे लिए तो,
आज भी वहीं राजू हूं मैं।
चाहे सपने में ही आ जाना,
मां, एक बार फिर से मुझे,
तुम राजू कहकर बुलाना।
शलभ गुप्ता
लेखक/कवि
पृथा थियेटर ग्रुप, मुंबई (महाराष्ट्र)
स्थाई पताः
बी- 598, लाजपत नगर,
मुरादाबाद -244001 (उत्तर प्रदेश)
संपर्क: 9769215979 (मुंबई),
9412806067 (मुरादाबाद)