Thursday, November 21, 2024
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संभलो,रूको,फिर से डराने लगा कोराना

अशोक मधुप/सनशाइन न्यूज…….
कोरोना फिर कहर बरपाने लगा है। तेजी से बढ़ते केस चिंताजनक हैं।लॉकडाउन के डर से मुंबई में बिहार और उत्तर भारत के मजदूर ने पलायन शुरू दिया है। अन्य जगह भी लोगों के मन में भय है। इतना सब होने पर भी भीड़ नही रूक रही। बाजार , बस स्टेशन सार्वजनिक जगह पर हालत बहुत खराब है।
देश भर में शुक्रवार को एक लाख 37 हजार 24 केस सामने आए हैं।शुक्रवार को 344 लोगों की मौत हुई है। महाराष्ट्र में एक बार फिर सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में आज कोरोना के 40,925 नए मरीज मिले हैं। 20 लोगों की मौत हुई है। यहां ओमिक्रॉन के भी मामले बढ़कर 876 हो गए हैं।
दिल्ली में शुक्रवार को 17,335 नए केस सामने आए हैं। मुंबई में लगातार दूसरे दिन 20 हजार केस मिले।मुंबई में आज छह लोगों की मौत हुई है।
−उत्तर प्रदेश में कोरोना के केस तेजी से डबल हो रहे हैं। 24 घंटे में शुक्रवार को राज्य में कोविड के 4,228 नए मामले सामने आए हैं। यह आंकड़े 229 दिन बाद आए हैं। इससे पहले 23 मई को 4715 केस मिले थे। लखनऊ में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में कोरोना फैल गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला समेत 12 लोग पॉजिटिव मिले हैं। इसके बाद आज कुछ नेताओं की होने वाली जॉइनिंग को टाल दिया गया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भाजपा सांसद मनोज तिवारी कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चार जज में कोराना मिला है।शुक्रवार को दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में 20 स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। अमृतसर के गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट शुक्रवार को इटली से आई फ्लाइट के 300 में से 190 यात्री संक्रमित पाए गए हैं।ये संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि अभी कई पैंसेंजर की रिपोर्ट आनी शेष है।गुरूवार को आई फलाईट के 179 यात्रियों में 125 कोरोना पाजिटिव मिले थे।
दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में कुछ दिनों के भीतर ही कोविड की जांच रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। कोविड की जांच करने वाली प्रमुख टेस्टिंग लैब का कहना है कि भारत में पिछले सात दिनों में कोविड की जांच में 60 फीसदी तक की तेजी देखी गई है। इतनी जांच पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर की पीक के दौरान हुई थीं।डब्लूएचओ के चीफ टेड्रोस गेब्रेयेसस ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दुनिया को चेताया है कि ओमिक्रॉन की वजह से दुनिया भर में लोगों की जान जा रही है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
ये आ रही सूचनाएं आने वाली हालत की गंभीरता बता रही हैं।
राज्य सरकार हालात से जुझने के प्रयास कर रही हैं। पर वह मिले धन का सदुपयोग नहीं कर रहीं। केंद्र ने उन्हें संसाधन जुटाने के लिए,कोरोना से लड़ने के लिए अगस्त में फंड जारी किया।यूपी को इस फंड से 939.94 करोड़ जारी हो चुके हैं ,लेकिन सरकार केवल 87.05 करोड़ यानी 9.26 प्रतिशत ही खर्च कर पाई। इसी प्रकार उत्तराखंड सरकार 6.28 प्रतिशत, राजस्थान 4.80 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर 2.44 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश 9.94 प्रतिशत, महाराष्ट्र 0.32 असम 0.38 प्रतिशत पैसा ही खर्च कर पाए। मिले धन का संसाधान जुटाने में उपयोग किया जा सकता था किंतु नहीं किया गया।काश इस राशि का इन राज्यों ने सदुपयोग किया होता तो कोरोना से और ज्यादा प्रभावी लड़ाई लड़ी जा सकती थी।
अस्पतालों में आक्सीजन युक्त बैड बढाए जा सकते थे। तीसरी लहर सिर पर आ गई है। अब तक शेर मचता था कि अपदासे लड़ने के लिए उनके पास धन नही हैं, दुर्भाग्य कहिए कि अब प्रदेशों के पास धन है पर राज्य उन्हें प्रयोग नहीं कर रहे। फिर भी अब भी समय है, सब मिलकर हालात समझे और कोरोना से बचाव के नियम का पालन करें।अच्छा यह रहा कि कोराना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में समाजसेवी संगठन आगे आए।उन्होंने हालात से लड़ने में समाज की बहुत मदद की । दवा, आक्सीजन,बैड और भोजन आदि की व्यवस्था की।
बढ़ते केस से लगता यह है कि वैक्सीन लगवाने वाले अधिकतर ये समझ चुकें हैं, कि अब हमें कुछ नहीं होगा। हमें सुरक्षा पालन करने की कोई जरूरत नहीं है,जबकि वैक्सीन फुलप्रूफ नहीं हैं। यह कोरोना से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही मजबूत करता है। ऐसे हालात में हमें आत्मनियंत्रण करना होगा। देखने में आया है कि हम भारतीय स्वतः अनुशासन का पालन नहीं करते। हम सख्ती के आदि हो गए हैं। हालात को नियंत्रित करना है तो कोरोना प्रोटोकाल का पालन न करने वालों पर सरकार को सख्ती करनी होगी।
बिगड़ती हालत देखते हुए कई जगह पर स्कूल काँलेज बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। किंतु देहात में कोरोना के बचाव के लिए ज्यादा तैयारी नहीं की गईं। यहां आंगनबाड़ी, आशा और एएनएम से काम लेने का प्रयास हो रहा है किंतु दूसरे फेज में ये सारी व्यवस्था भंग हो गई थी। उस समय गांव के नीम हकीम काम आए। इनके चिकित्सा करने पर सर्वाेच्च न्यायालय ने रोक लगाई हुई है। इसके बावजूद ये स्वास्थ्य विभाग की कृपा पर धड़ल्ले से कार्यरत हैं।कोरोना के प्रथम फेज में एक झोला छाप के द्वारा कई व्यक्तियों को कोरोना देने के बाद डीएम बिजनौर ने कार्रवाई की तो अकेली चांदपुर तहसील में दो सौ के आसपास ये कार्यरत मिले। कुछ ऐसे भी थे जो छापे पड़ते ही दुकान बंद कर भाग गए। कानून से हमें इन्हें नहीं बंद कर सकते। स्वास्थय विभाग को हमने कमाई का एक साधन और सौंप दिया। आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता ट्रेंड नहीं है। हम उनसे काम ले सकते है तो इन अपंजीकृत देहाती चिकित्सा कर्मी को कुछ समय की ट्रेंनिग देकर इस लड़ाई में क्यों नही इस्तमाल करते। समाजसेवी संगठन का अभी से आगे लाने उन्हें प्रेरित करने की जरूरत है।

(लेखक अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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