Thursday, November 21, 2024
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मतदान जागरूकता को प्रेरित करतीं टीचर्स की कविताएं

डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
लोकतन्त्र में मतदान का बहुत महत्व होता है। क्योंकि मतदान से लोकतन्त्र मजबूत होता है। अतः देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह मतदान के महत्व को आवश्यक रूप से समझकर मतदान अवश्य करें चाहे वह किसी के लिए भी हो। इसी क्रम में पेश हैं बेसिक शिक्षा परिषद के टीचर्स की मतदान जागरूकता को प्रेरित करती रचनाएंः

महा पर्व मतदान’
मेरा देश बन रहा तू काम कर रहा है।
चल काम छोड़ सारे मतदान करले प्यारे।
मेरा देश बन रहा है तू काम कर रहा है।
मतदान है जरूरी समझा न जो न जागा।
यह सत्य जान लो कि सचमुच मे वह अभागा।।
पहले की करनी देख तू अब तक भुगत रहा है।।
तेरा देश बन रहा है तू काम कर रहा है।।
धन्धे तू छोड़ सारे परिवार जन ले सारे।।
चल बूथ की दिशा में नेता को चुन प्यारे।
नाहक भटक रहा है तेरा देश बन रहा है।।
लालच मे तुम न फंसना चाची औ अम्मा बहना। पूरा करे जो सपना हो राष्ट्र उन्नत अपना। जति धर्म में न बंधना।।
बेदाग नेता चुनना मेरा देश बन रहा है।।
मन से मनन तू कर ले फिर स्वार्थ लोभ तज कर नेता वरन तू कर ले।।
मतदान है जरूरी अहले सुबह तू करले।।
जलपान कर रहा है तेरा देश बन रहा है।।
रेखा तेरे ही मत से मेरा राष्ट्र बन रहा है।।

रेखा रानी
प्रधानाध्यापिका
उच्च प्राथमिक विद्यालय गजरौला।

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आओ चलो मतदान करे हम’
सोच समझ सरकार चुनें हम,
आओ चलें मतदान करें हम,
उम्र अठारह वर्ष या ऊपर ,
तो अवश्य मतदान करें हम।
चाहे वोट किसी को डाले,
अपने वोट का दान करे हम ।
चलो एक अच्छी सरकार चुने हम
आओ चलें मतदान करें हम,
मतदान हमारा है अधिकार,
लोकतंत्र का है यह हथियार,
इसको देने से न चुके हम
आओ चलें मतदान करें हम,
सोच समझ सरकार चुनें हम

एक मतदान करने से
फ़र्क बहुत पड़ता गहरा
प्रत्येक अमूल्य वोट से सत्ता बदल सकतीं हैं
मतदान शक्ति को
पहचानें हम
सोच समझ कर सरकार चुनें हम,
आओ चलें मतदान करें हम,

न किसी के प्रलोभन से
न किसी के बहकावे से
नहीं किसी कि मीठी वाणी से
अपने अधिकारों का निर्णय
स्वयं करें हम,
सोच समझ सरकार चुनें हम,
आओ चलें मतदान करें हम,

आशा कमल,
उच्च प्राथमिक विद्यालय अल्लीपुर भूड़,
गजरौला।
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मतदान का अलख जगाना है
रण भेरी गूंज रही रण में!
माहौल चुनावी कण कण में!
मु्द्दों में लोभ की लीला है!
जनता है भांप रही क्षण में!
बरस अठारह पूर्ण हुए!
खुशनुमा गुदगुदे मौसम में!
स्वाद चखें मतदान का हम!
राजनीति के मौसम में!
बच्चा बूढ़ा और जवान
राजनीति का बांटें ज्ञान
वोटों का गणित भिड़ाने में
जात पात का खूब बखान
बंटवारे ने घर बांटें!
देश को बांटे जात पात!
बंटे न सूरज ना धरती!
बंटा है जग में शर्म लिहाज!
भीड़ चुनावी रैली में !
नेताजी के दर्शन को!
क्या किया है अब तक करेंगे क्या!
बस इसी बात का वाचन हो!
राजा का कोई धर्म नहीं!
जात – पात ना अधरों पर!
नर – नारी का भेद न हो,!
विश्वास भरा हो कंधों पर!
प्रजातंत्र की चली बयार!
प्रत्याशी की यही पुकार!
करके वोटों की बौछार!
सतरंगी हो ये त्योहार!
मतदान का अलख जगाना है!
अपना अधिकार जताना है!
फिर कहना ना कि गलत हुआ!
हो सही जो उसे जिताना है!
जगदीश चन्द्र
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गर हालात बदलना है।
वोट देने चलना है।
पछताओगे बाद में फिर,
बैठे हाथ को मलना है।

बीमारी भी ध्यान रहे ,
दूरी गज की धरना है।
एक तरफ है खाई तो,
उधर कुँए में गिरना है।

वोट ही है हथियार तेरा,
हर हालत इसे पड़ना है।
बारी आज तुम्हारी है
हक की खातिर लड़ना है।

बेहतर शिक्षा और चिकित्सा,
सुविधाएं जो करना है।
देना होगा वोट ये अपना,
बड़ी ही मुश्किल वरना है।

अपना हक पहचानो चल कर,
घर बैठे क्या करना है।
अभी नही तो कभी नही,
माथा सिर्फ पकड़ना है।

इक इक वोट से निर्णय सारा,
भव सागर से तरना है।
जागो वोटर वोट संभालो,
शासक अपना चुनना है।

इन्दु,अमरोहा।
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रानी, रविन्द्र, रुखसाना, जॉनी
कान खोलकर सुन लो तुम ।
ये है पर्व चुनाव का,
करने को मतदान का,
छोड़ छाड़ कर सारा काम,
पहले करलो इसको तुम ।
पाँच साल में मौका आता,
फिर से बटन दबाने का,
अब फिर से अवसर आया,
अपनी सरकार बनाने का ।
बटन दबाने से पहले,
कर लो मन में इतना ध्यान,
ईमानदार जो नेता हो,
कभी न गच्चा देता हो,
शिक्षा का अधिकारी हो,
जाति, धर्म, बुरे कर्म
इन सब पर वो भारी हो।
मताधिकार तुम्हारा है ,
दारू के कुछ पौओं में,
इसको नीलाम ना करना तुम।
लोभ-लालच से ऊपर उठकर,
अगर मतदान तुम्हारा हो ,
देश बढ़ेगा आगे नित दिन,
ये संकल्प हमारा हो ।
सुनील कुमार सअ
कम्पोजिट विद्यालय पीपली घोसी
विकास क्षेत्र अमरोहा।


मतदान कविता
वोट डालने चलो रे साथी
लोकतंत्र के बनो बराती
एक वोट से करो बदलाव
नेताजी के बदलो हाव भाव
सही उम्मीदवार का करो चुनाव
आपका वोट है आप की ताकत
लोकतन्त्र की है ये लागत
सुबह सवेरे वोट दे आओ।
वोटर आई डी ले जाओ
मतदान के दिन घर में मत रहना
वर्ना पांच साल तक पड़ेगा सहना
भैया, दीदी, चाचा, चाची वोट दे के आ जाओ जी। लोकतंत्र का आनंद उठाते हो
फिर वोट देकर क्यों नहीं आते हो
आपके एक वोट से आयेगा बदलाव
समाज जायेगा सुधर कम होगा तनाव।
राधा अग्रवाल
पीएस रहरा।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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