डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
क्या रखा है युद्ध में
——————-
मानव मानव का दुश्मन हुआ,
मैं तुमको आज बताता हूं।
रक्त पिचास क्यों बने हुए तुम,
मैं तुमको समझाता हूं।
युद्ध नहीं बुद्ध की नीति,
अभी आज अपना लो तुम।
जैसा करोगे वैसा मिलेगा,
याद रखो संसार में।
क्या रखा है युद्ध में।
यह बार-बार क्यों होते युद्ध ?
जरूरत है, तुम करो सुधार ।
कुछ हम सुधरें कुछ तुम सुधरो,
शांति से खोजो हल क्या है?
आज का ध्यान भी तुम रखना,
सोचो तुम्हारा कल क्या है?
तहस-नहस निराशा चीखें,
मिलेंगे इस संसार में।
क्या रखा है युद्ध में।
भूल गए हिरोशिमा क्यों?,
नागासाकी याद नहीं।
अमेरिका की चालाकी का,
तुमको क्यों आभास नहीं।
दूर खड़ा रहता है, खुद तो,
आपस में चलवाता है।
तुमको तो हानि ही मिलती,
खुद तो लाभ उठाता है।
दादागिरी ने चलेगी लम्बी,
सुधार कर व्यवहार में।
क्या रखा है युद्ध में।
किसी की बीवी- बच्चे बिछड़े,
किसी का सत्यानाश हुआ।
चीख-पुकार से आंगन गूंजे,
मार्ग लथपथ लाल हुआ।
बेचौनी निराशा हताशा चीखें,
किसी का पारावार नहीं।
शांति से सुलझा लो मसला,
क्या रखा हथियार में।
क्या रखा है युद्ध में।
झकझोर दिया, कुछ तोड़ दिया,
कुछ अपनों ने ही छोड़ दिया।
तबाही लहूलुहान लाशें हाहाकार,
निर्दाेष क्यों हो रहे शिकार ?
गलती क्या है? इनकी यार।
तहस-नहस प्रलय का दृश्य,
आंखों में आंसू लाता है।
देखो कैसा लहू बह रहा नर के कारोबार में,
क्या रखा है युद्ध में।
हथियारों की होड़ ने,
रुला दिया इस मोड़ ने।
थर्ड विश्व युद्ध की वारी क्यों?
ऐसी भी लाचारी क्यों?
लपटों से क्या डर नहीं लगता?
मन तुम्हारा कृन्दन नहीं करता।
शांति का फैलाओ संदेश,
सब कुछ मिलेगा प्यार में।
क्या रखा है युद्ध में।
दोस्त बदल जाते हैं, अक्सर,
पड़ोसी फिर भी बेहतर है।
अंधकार में परछाई भी,
साथ हमारा नहीं देती।
मिलजुलकर सब रहे देश,
बदलो अपना छदम वेश।
शांति चमन अमन प्यार,
जीवन मे अपना लो यार।
होड़ तोड़ विध्वंश विनाश,
पूर्व में डालो प्रकाश।
युद्ध से कभी भला हुआ नही,
बात कहूँ मैं सार में।
क्या रखा है युद्ध में।
दुष्यन्त कुमार की है,यह आशा,
बदलो युद्ध की तुम परिभाषा।
युद्ध नहीं हमे बुद्ध चाहिए।
दलाल चाटुकार नहीं चाहिए।
चेहरों पर मुस्कान चाहिए।
झूठा न प्रचार चाहिए।
कहता संक्षिप्त सार मैं।
क्या रखा है युद्ध में।
दुष्यन्त कुमार
शिक्षक
गांव-तरारा
पोस्ट- उझारी
ब्लॉक- हसनपुर
जिला- अमरोहा।
मोबाइल नंबर
956814 0365