डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
………..टन टन टन……………
घंटी बजते साथ सभी बच्चे प्रार्थना स्थल में पंक्तिबद्ध खड़े हो गए। कांता मैडम बच्चों के साथ प्रार्थना गा रहीं थी।
प्रार्थना पूरी होने से पहले ही अचानक कक्षा आठ की निशा बेहोश होकर गिर जाती है। बच्चे इधर- उधर भागने लगते हैं ।कांता मैडम बच्चों को मदद के लिए बुलाती है ।बच्चे उसके ऊपर हवा का चक्कर बताते हुए पास भी नहीं आते हैं ।बमुश्किल वह अकेले ही निशा को उठातीं है, कुर्सी पर बैठा कर पानी के छीटें डालती हैं । वह थोड़ा ठीक महसूस करती है।
कांता मैडम इक्कीसवीं सदी में भी अंधविश्वास की बेड़ियों से बंधे समाज का प्रभाव बच्चों में देखकर हैरत में रह जाती हैं…….
तभी वह पर्स से अपना फोन निकाल कर निशा के अभिभावकों को विद्यालय में बुलातीं है और उसे सरकारी अस्पताल में दिखाने को कहती हैं। वहां पता चला कि निशा एनिमिक है और जल्दी ही वह स्वस्थ हो जाती है। मैडम बच्चों को बतातीं है कि निशा में खून की कमी थी इसीलिए वह कमजोरी के कारण बेहोश हो गयी थी और कोई ऊपरी हवा नहीं होती है।
आज प्रार्थना में सभी बच्चों के भयमुक्त चेहरे देखकर कांता मैडम मन ही मन मुस्कुरा रहीं थीं क्योंकि आज उन्होंने अंधविश्वास की छुट्टी कर दी थी।