डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
लघुकथा……सीख…………..
रोजाना की तरह दैनिक प्रार्थना के पश्चात जब सौम्या मैम क्लास में पहुंचीं ….तो सिमरन बिलख- बिलख कर रोने लगी। सौम्या ने स्नेह से हाथ फेरते हुए सिमरन से रोने का कारण पूछा, तो बड़ी मुश्किल से बताना शुरू किया…. मैम वो न दादी हर बात में मेरी ही पिटाई कर देती हैं, कोई भी चीज़ नहीं छूने देती और तो और आज़ जब मैं साइकिल से स्कूल आने लगी तो साइकिल छीन कर शलभ को दे दी…. कहती हैं कि साइकिल चलाने का काम लड़कों का ही है, और मुझे पैदल आने में स्कूल को भी देर हो गई।
चलो कोई नहीं, रोते नहीं ….मैं तुम्हारी दादी से बात करूंगी… समझा दूंगी सिमरन को समझाते हुए सौम्या बोलीं। नहीं वो नहीं मानेंगी… सिमरन ने सुबकते हुए कहा ।
कई दिनों बाद सिमरन जब स्कूल नहीं आई …..तब सौम्या मैम ने कारण जानने के लिए जैसे ही फ़ोन किया तो उधर से दादी की ही आवाज़ थी….’हेलो कौन’?? जी मैं सिमरन की मैम बोल रही हूं।…. ।अच्छा मैम जी
कैसी हो?? मैं ठीक हूं ,कई दिनों से सिमरन स्कूल नहीं आ रही है ,सोचा पता करूं कि क्या वजह है ?
अरे मैडम जी कुछ नहीं अब सिमरन रोजाना साइकिल से ही स्कूल आएगी। सुनकर सौम्या मैम और उतावली हो गई, वजह जानने के लिए …..साइकिल से…. हां साइकिल से उस दिन जो मुझे सिमरन डॉक्टर को न लाती साइकिल से तो मैं इस दुनिया में ही न होती।
शलभ तो कमबख्त दोस्तों के साथ चला गया था फिल्म देखने आस पड़ोस वाले बता रहे थे कि जैसे ही मुझे बेहोशी हुई सिमरन ने साइकिल उठाई और पंहुच गई डॉक्टर साहब के पास और ले आई आनन फानन में डॉक्टर को और बचा लिया इस बुढ़िया को अब मुझे समझ आई कि ’लड़की हो या लड़का सब काम सब को सीखना चाहिए और सिखाना चाहिए’। दादी की बातों में सीख झलक रही थी।
रेखा रानी
विजय नगर, गजरौला
जनपद अमरोहा, उत्तर प्रदेश।