डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
जिन्हें ऑफिसर ऑफ द कोर्ट कहा जाता है, न्यायालय भी उन्हें सम्मान से विद्वान कहकर संबोधित करते हैं । ऐसे अधिवक्ता शासन और प्रशासन की नजर में अराजक कैसे हो सकते हैं ? यह बात दीगर है कि प्रत्येक क्षेत्र में अराजक और आपराधिक तत्वों की घुसपैठ हो चुकी है । परंतु सारे अधिवक्ता समाज को अराजक कहकर संबोधित करना उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव का निंदनीय और भत्सना किए जाने वाला कृत्य है ।
बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के विशेष प्रतिनिधि मनु शर्मा एडवोकेट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव प्रफुल्ल कमल द्वारा प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी एवं जिला न्यायाधीशों को संबोधित पत्र प्रेषित किया गया है। जिसकी भाषा शैली अधिवक्ताओं के लिए अपमानजनक है । उसमें अधिवक्ताओं को अराजक तत्व कहकर संबोधित करना उत्तर प्रदेश शासन एवं प्रशासन का निंदनीय कृत्य है । जिसे अधिवक्ता समाज किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा । प्रदर्शनों और विरोध के लिए बाध्य हो जाएगा । इस बाबत बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को भी शीघ्र मुखर होकर अधिवक्ता समाज को एकजुटता का परिचय देकर इसका खुलकर विरोध करना चाहिए। इस तरह से अधिवक्ता समाज का सरकारी दमनकारी नीति के कारण मान सम्मान खो जाएगा । जिसे रोकने की सख्त आवश्यकता है । जबकि अधिवक्ता को न्यायालय भी अपने आदेशों और निर्देशों में विद्वान लिख कर संबोधित करते हैं। संसदीय भाषा का प्रयोग करने वाले अधिवक्ताओं को ऑफिसर ऑफ द कोर्ट कहा जाता है । लेकिन शासन के कुछ तथाकथित उच्चाधिकारियों की दूषित और अधिवक्ता विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करने वाले ऐसे अनावश्यक पत्र या निर्देशों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाकर इसे वापस लिया जाना चाहिए।