डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
दिल्ली के हिंदी भवन में आयोजित कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य अकादमी दिल्ली के सचिव डॉ जीतराम भट्ट ने अमरोहा की कवियत्री श्रीमती शशि त्यागी को काव्य रत्न सम्मान एवं गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड सम्मान प्रदान किया।
श्रीमती शशि त्यागी संस्कार भारती अमरोहा से जुड़ी हुई हैं।
देश विदेश के 150 साहित्यकार सम्मानित
15 मई 2022 को देश की राजधानी दिल्ली स्थित हिन्दी भवन में कालजयी काव्य ग्रंथ भारत के भारत रत्न का भव्य लोकार्पण एवं सम्मान समारोह संपन्न हुआ। यह कालजयी ग्रंथ डॉ राजीव कुमार पाण्डेय द्वारा संपादित है जब कि इस ग्रंथ का संकलन ओंकार त्रिपाठी द्वारा किया गया है। अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन संस्था द्वारा आयोजित इस लोकार्पण समारोह की नींव 21 नवंबर 2021 को ही डाल दी गई थी जब देश के सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत 48 महापुरुषों पर देश विदेश के 301 कवियों ने ऑनलाइन काव्य महोत्सव का आयोजन किया था। अपनी तरह के इस अद्वितीय आयोजन को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था और भारत के अलावा लगभग 15 देशों के रचनाकार इस महा अनुष्ठान में शामिल हुए थे। भारत रत्न से विभूषित मनीषियों पर किया गया यह कार्य मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि देश के लिए मनसा, वाचा, कर्मणा समर्पित महामानव के जीवन, त्याग और बलिदान की पावन गाथा है जो किसी पावन ग्रंथ से कम नहीं है इसीलिए इसे ग्रंथ कहा गया है।
200 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया
इस भव्य लोकार्पण समारोह में देश के कोने कोने से आये 200 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। काव्यग्रंथ में अपनी सहभागिता दर्ज कराने वाले रचनाकारों को काव्य रत्न से सम्मानित भी किया गया।
दीप प्रज्वलन और कुसुमलता कुसुम द्वारा मां वाणी के चरणों में वंदना के पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मुंबई से पधारे स्वगताध्यक्ष राजकुमार छापड़िया और संस्था के महासचिव ओंकार त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष अनुपमा पांडेय भारतीय, बृज माहिर, रजनीश स्वच्छंद, राजेश कुमार श्रेयश गार्गी कौशिक, रजनी शर्मा चंदा ने सभी अतिथियों का शॉल, पुष्प गुच्छ व प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।
सभी अतिथियों के कर कमलों द्वारा इस ग्रन्थ का भव्य लोकार्पण किया गया। ग्रन्थ के लोकार्पित होते ही पूरा सभागार तालियों से गूंजने लगा। सभी लोग खड़े होकर भारत माता की जय के नारे लगने लगे। देश के कोने कोने से आये लगभग 150 साहित्यकारों को अंगवस्त्र, सम्मान पत्र और ग्रंथ भेंटकर सम्मानित किया गया।
मानव मूल्य लगातार टूट रहे
ग्रन्थ की पूर्व पीठिका और संघर्ष यात्रा पर संस्था के महासचिव एवं ग्रन्थ के संकलनकर्ता ओंकार त्रिपाठी ने विस्तृत प्रकाश डाला। विषय चुनाव से लेकर काव्य महोत्सव और पुस्तक के लोकार्पण तक की यात्रा से सभी मंचासीन साहित्य पुरोधाओं और उपस्थित शब्द साधकों को जोड़ा। ओंकार त्रिपाठी ने बताया कि यंत्र के इस युग में मानव भी यंत्रवत हो गया है। यंत्र में संवेदना नहीं होती और मानव भी संवेदनहीन होता जा रहा है। मानव मूल्य लगातार टूट रहे हैं। हर किसी के कई चेहरे हैं। वह बाहर से समेकित किंतु अंदर से बिखरा हुआ है। इस भौतिकवादी स्वार्थपरता ने मनुष्य से लेकर राष्ट्रों तक को बारूद के ढेर पर बिठा दिया है। ऐसे में साहित्यकार का धर्म है समाज हित में समर्पित देश के रत्नों को याद करते हुए उनके सामाजिक सांस्कृतिक योगदान को देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी को अवगत कराएं और उन्हें मानव मूल्यों से जोड़कर रखें।
301 कवियों ने कविता पाठ कर
संस्था के संस्थापक एव अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार पाण्डेय ने संचालन करते हुए भारत रत्न महोत्सव की चर्चा करते हुए बताया कि इस महोत्सव में 301 कवियों ने कविता पाठ करके गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया था।
इस अवसर पर श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती के द्वारा सम्पादक डॉ राजीव कुमार पांडेय और संकलनकर्ता ओंकार त्रिपाठी को शॉल, मोतियों की माला, शील्ड तथा साहित्य मनीषी सम्मान से अलंकृत किया गया।
विप्र फाउंडेशन हरियाणा प्रदेश की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ सविता उपाध्याय द्वारा भी अंग वस्त्र भेंटकर डॉ राजीव कुमार पांडेय तथा ओंकार त्रिपाठी का सम्मान किया गया
अखिल भारतीय वैष्णव वैरागी तथा राजस्थान प्रदेश की अध्यक्ष वीणा वैष्णवी ने राजस्थानी पटका और पगड़ी पहनाकर ग्रंथ के संपादक व संकलनकर्ता को सम्मानित किया।
काव्यग्रंथ के संपादक डॉ पांडेय और संकलनकर्ता ओंकार त्रिपाठी का महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष कुसुमलता कुसुम, गार्गी कौशिक तथा कुसुम आचार्य ने भी अगल अलग अंग वस्त्र, शॉल और श्रीफल देकर स्वागत किया।
राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रन्थ
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुदर्शन चौनल के अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक एवं एडिटर इन चीफ सुरेश चौहान ने इस कृति को राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रन्थ बताते हुए कहा कि यह केवल एक ग्रन्थ नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर बन गया है। इससे भारत की आने वाली पीढ़ी को हमारे देश की महान विभूतियों को काव्यात्मक रूप से पढने को मिलेगा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा की सुदर्शन टी वी सभी 48 भारत रत्न विभूतियों और देश के 21 परमवीर चक्र विजेताओं पर अलग अलग एपिसोड बनाकर अपने न्यूज चौनल पर प्रसारित करेगा।
संस्कार संस्कृति की रक्षा के लिए
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि ने कहा कि हिंदी साहित्य के इतिहास में इस प्रकार का कार्य होना अपने आप में स्तुत्य है। हमारे राष्ट्र के महापुरुषों को कविताओं के माध्यम से व्यक्त कर एक श्लाघनीय कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि मैं इस ग्रंथ के सम्पादक डॉ राजीव कुमार पांडेय एवं संकलनकर्ता वरिष्ठ गीतकार ओंकार त्रिपाठी को र्ह्दय से बधाई देता हूं जिन्होंने साहित्य की यह ज्ञान गंगा बहायी है। उन्होंने अपने संस्कार संस्कृति की रक्षा के लिए वेदों की ओर लौटने और जीवन में उन्हें अपनाने का आह्वान किया।
इस ग्रन्थ के समीक्षा करते हुए विशिष्ट अतिथि और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरि सिंह पाल ने कहा कि इस विशाल ग्रन्थ में देश विदेश के 215 ने इस नए विषय पर सृजन किया है जो अभी तक अछूता था।
विशिष्ट अतिथि और हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव डॉ जीतराम भट्ट ने इसे कालजयी ग्रन्थ की संज्ञा देते हुए कहा कि इसे भारत की प्रत्येक लाइब्रेरी में होना चाहिए।
अपने उद्बोधन में विशिष्ठ अतिथि और दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ इंदिरा मोहन ने उपस्थित सरस्वती पुत्रों का आह्वान किया और कि डॉ राजीव कुमार पांडेय और ओंकार त्रिपाठी ने मिलकर एक दिव्य अनुष्ठान किया है जिसमें आप सभी शब्द साधकों ने उन महिमामंडित व्यक्तित्वों को उकेरा है जो भारत देश का इतिहास भी हैं, वर्तमान भी है और भविष्य भी हैं। उन्होंने कहा कि तन में मनरूशिव संकल्पमस्तु। यह तो व्यक्ति का नहीं, शिव का कार्य है जो सदैव पूर्ण आनंद देता है देश की स्थिति पर साहित्यकारों का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थितियों में साहित्यकार ही हमें सही मार्ग दिखा सकता है इसलिए लोकेषणा को छोड़कर संस्कार और संस्कृति की रक्षा के लिए अपनी आत्मा को जगाना होगा।
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी से पधारे वरिष्ठ गीतकार डॉ ब्रजेंद्र नारायण द्विवेदी ने भारतरत्न विभूतियों पर संकलित इस पावन काव्यग्रंथ के लिए ओंकार त्रिपाठी और डॉ राजीव पांडेय के कार्यों की खुले मन से सराहना की और अपना भरपूर आशीर्वाद प्रदान किया। राजस्थान से पधारे दर्जा प्राप्त मंत्री और राजस्थान अकादमी के अध्यक्ष रहे डॉ लाल थदानी ने भी इस ग्रंथ और इसके संपादक और संकलनकर्ता ओंकार त्रिपाठी को ऐसे पुनीत कार्य के लिए अपना आशीष प्रदान किया और अपने सहयोग का आश्वासन दिया।
इस ऐतिहासिक महत्व के कार्यक्रम में संस्था के समर्पित सिपाही कोषाध्यक्ष अनुपमा पाण्डेय भारतीय, कुसुमलता कुसुम, गार्गी कौशिक, ब्रज माहिर, यशपाल सिंह चौहान, रजनीश स्वछंद, देवेन्द्र शर्मा देव, राजेश कुमार सिंह श्रेयस, का विशेष आभार प्रकट किया गया, जिनके सक्रिय सहयोग से लोकार्पण समारोह भव्य रूप में संपन्न हो सका।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ। संस्था की कोषाध्यक्ष अनुपमा पाण्डेय भारतीय के धन्यवाद ज्ञापन्न के साथ ने कार्यक्रम संपन्न हुआ।