डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
माननीयों को मिलने वाली पेंशन को लेकर अगर पेंशनविहीन कर्मचारी/शिक्षक/अधिकारी पीड़ा व्यक्त करते हैं तो वह जायज ही है। जिस देश/प्रदेश मंे वहां के कर्मचारियों को पेंशन न मिलती हो वहां विधायक, सांसदों संग अन्य माननीयों को भी पेंशन लेने का हक नहीं मिलना चाहिए।
पेंशनविहीन कर्मचारियांे शिक्षकों व अफसरों की कतार वर्ष 2005 से बढ़ती ही जा रही है। विरोध और बढ़ते पेंशनविहीन कर्मचारियों के कुनबे को देखते हुए कुछ राज्यों ने पेंशन स्कीम लागू भी कर दी हैं। अगर बात यूपी की जाए तो यहां अभी पेंशन दूर की कौड़ी है। हालांकि पेंशनविहीन कर्मचारी शिक्षक और अफसर लगातर आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन में कर्मचारियों व शिक्षकों की भागेदारी अधिक होती है अफसर पद की गरिमा से बंधे होने के कारण प्रत्यक्ष आंदोलन में शामिल नहीं दिखाई पड़ते हैं।
पेंशन को लेकर देश व सूबे में दोगुली नीति उचित नहीं है विधायक और सांसद को भी कई कई पेंशन नहीं दी जानी चाहिए। उन्हें भी केवल एक पेंशन मिलनी चाहिए और पेंशनविहीन कर्मचारियों/शिक्षकों/अफसरों को भी पेंशन मिलनी चाहिए।