डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
खुद अंधेरे में रहकर दूसरों को प्रकाशित करने वाला, दूसरों को महत्तम ऊंचाई तक पहुंचाने वाला, ईमानदार निष्पक्षपाती, दूरदर्शी निष्कपट, समाज और देश की दिशा और दशा को बदलने वाला, चरित्रवान दूसरों को बनाने वाला, बिना विरोध व सहज भाव से वे सब कार्य करने वाला जो गैर शैक्षणिक हैं,एक सशक्त, शिक्षित समाज और देश का निर्माण करने वाले शिक्षक को क्या वास्तव में आज वह सम्मान मिल रहा है, जिसका वह वास्तविक हकदार है। तो उत्तर होगा नहीं।
आज उस पर कार्य का बोझ इतना लाद दिया है, कि वह स्वतंत्र रूप से कोई कार्य नहीं कर पा रहा, करता भी है, तो डर के साथ। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एक शिक्षक एक सामान्य व्यक्ति नहीं होता और जो सामान्य व्यक्ति होता है। तो वह शिक्षक नहीं होता। शिक्षक जिसे चाहे बना सकता है, लेकिन कोई भी शिक्षक को नहीं बना सकता इसलिए शिक्षक की किसी दूसरे पद या व्यक्ति से तुलना करना बिल्कुल अनुचित है। जिसका शिक्षक ने निर्माण किया है,वह शिक्षक के बराबर कभी नहीं हो सकता।
आज शिक्षक का गैर शैक्षणिक कार्यों के द्वारा और अन्य तरह-तरह से उसका मानसिक और शारीरिक शोषण हो रहा है। अगर ऐसा होता रहेगा तो एक शिक्षक क्या वे सब परिणाम दे पाएगा जिसकी अपेक्षा उससे समाज या देश करता है, यह सोचने का विषय है। एक शिक्षक वह सब कार्य बिना विरोध और खुशी के साथ सहज भाव से करता है, जिसे कोई दूसरा करने से हिचकता है या कर नहीं पाता। टीचर की सैलरी सभी को चुभती है, परंतु उसे जो समाज और देश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसके लिए वह बहुत ही परिश्रम, कर्तव्यों के साथ, निस्वार्थ होकर और ईमानदारी के साथ कार्य करता है, वह किसी को दिखाई नहीं देता।
अगर हम किसी समाज और देश को विकसित बनाना चाहते हैं, तो जरूरी होगा कि वहां के शिक्षकों को वह सम्मान मिलना चाहिए जिसका वह वास्तव में हकदार है। वर्तमान में ऐसा देखने में आ रहा है कि कहीं ना कहीं उसके सम्मान में कमी आई है, जिसका सीधा असर शिक्षा पर पड़ेगा और हमें वो परिणाम नहीं मिल पायेगा जो हम उससे चाहते हैं।
दुष्यन्त कुमार (सअ प्रावि अकबरपुर सकैनिया, विकास क्षेत्र अमरोहा)
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