डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
साहित्य अकादमी, नई दिल्ली और हरियाणा उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में फ़िक्र तौंसवी व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर एक दिवसीय परिसंवाद हरियाणा उर्दू अकादमी भवन सभागार, आई.पी. 16, सेक्टर-14, पंचकूला में आयोजित किया गया।
उर्दू मोहब्बत की जुबान
उद्घाटन सत्र का मंच संचालन डॉ. नाशिर नक़वी ने किया और उसके बाद हरियाणा उर्दू अकादमी और हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने अपने आरंभिक वक्तव्य में फ़िक्र तौंसवी पर बहुत तफसील से रोशनी डाली। मशहूर शायर जनाब शीन काफ़ निज़ाम ने मुख्य अतिथि के तौर फ़िक्र तौंसवी पर बहुत विस्तार से चर्चा की और उन्होंने कहा के तंज़-ओ-मिज़ाह पर फ़िक्र तौंसवी को महारत हासिल की थी। श्री गुरविंदर सिंह धमीजा, उपाध्यक्ष, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी ने फ़िक्र तौंसवी पर अपने विचार रखे ओर कहा कि उर्दू मोहब्बत की जुबान है।
अदब को एक फ़िक्री अदब से पहचान कराई
डॉ. महताब अमरोहवी ने अपने वीज-वक्तव्य में अपने लेख से इंसाफ किया और अपने तहकीकी मकाले की झलक भी दिखलाई। उन्होंने कहा की फ़िक्र तौंसवी ने अपनी तहरीरों के जरिए समाज के रिश्ते हुए नासूरो का कामयाब आपरेशन करके अदब को एक फ़िक्री अदब से पहचान कराई। माधव कौशिक, उपाध्यक्ष साहित्य अकादमी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में फ़िक्र तौंसवी के बारे में बहुत मालूमाती विचार रखे और उनकी किताबों और उनके मशहूर जमाना कॉलम ‘‘प्याज के छिलके’’ के बारे में जानकारी दी और उन्होंने ने कहा कि फ़िक्र तौंसवी ने हास्य व्यंग्य समाज सुधारक के तौर पर पेश किया।
जबानों का कोई मजहब नहीं होता
दूसरे सत्र में तीन मकाले पेश किए गए। पहला मकाला डॉ. लुबना हामिद ने अपना लेख फ़िक्र तौंसवी व्यक्तित्व एवं कृतित्व के तौर पर पेश किया। उन्होंने कहा कि हास्य व्यंग्य में फ़िक्र तौंसवी की शखि़्सयत मुसल्लम है। उसके बाद डॉ. नाशिर नक़वी ने अपना लेख फ़िक्र तौंसवी की मजरूह फ़िक्र का ‘‘छटा दरिया‘‘ पेश किया, उन्होंने कहा ‘‘छटा दरिया’’ फ़िक्र तौंसवी का अदबी शाहकार है। तीसरा लेख हक़्क़ानी अल-क़ासमी ने ‘‘फ़िक्र तौंसवी इमकानी ज़ाविए‘‘ पेश किया, उन्होंने कहा फ़िक्र तौंसवी को जो हास्य व्यंग्य में जो मकबुलियत हासिल हुई शायद की किसी ओर को हुई हो। प्रो. अख़तरूल वासे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा जबानों का कोई मजहब नहीं होता मजहब को जबानों की जरूरत होती है। जबान संवाद के लिए है विवाद के लिए नहीं, उन्होंने कहा की पाँचों लेख बडी अहमियत के हामिल है। डॉ. वीरेन्द्र चौहान ने मुख्य अतिथि के तौर पर अपने ख़्यालात फ़िक्र तौंसवी से मुतालिक विस्तार पेश किए और उन्होंने फ़िक्र तौंसवी सेमिनार के आयोजन करने पर हरियाणा उर्दू अकादमी और साहित्य अकादमी दिल्ली का शुक्रिया अदा किया।
तृतीया सत्र में मंच संचालन डॉ. जतिन्दर परवाज़ इस सत्र का पहला लेख डॉ. के.के.ऋषि का था उन्होंने कहा फ़िक्र तौंसवी रोम-रोम में हास्य व्यंग्य भरा पड़ा था। दूसरा लेख असद रज़ा का था जिसमें उन्होंने फ़िक्र तौंसवी के बारे में अपने विचार रखे। इस सत्र का अध्यक्षीय व्यक्तव्य में फ़िक्र तौंसवी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर तफसील से रोशनी डाली।
कार्यक्रम के सम्मापन पर हरियाणा उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष एवं निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने मुख्य अतिथि जनाब शीन काफ़ निज़ाम एवं माधव कौशिक, उपाध्यक्ष, साहित्य अकादमी, दिल्ली तथा देश के विभन्न भागों से पधारे उर्दू कलमकारों का धन्यवाद करते हुए ये आश्वासन दिया कि अकादमी भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन करती रहेगी। उन्होंने मंच संचालन के लिए डॉ. नाशिर नक़वी, पत्रकार बन्दों एंव पंचकूला से पधारे लेखकों के प्रति भी आभार प्रकट किया।