डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
चिकित्सा की हिंदी में पढ़ाई से तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे। दूसरी भाषा की तुलना में अपनी मातृभाषा में अपनी बात को कहना व ग्रहण करना सरल व सहज होता है।
यह निष्कर्ष चिकित्सा की हिंदी में पढ़ाई के शुभारंभ पर
डाक्टरों से परिचर्चा में निकल कर आया। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 16 अक्टूबर को चिकित्सा में हिंदी की पढ़ाई का शुभारंभ किया। उन्होंने भोपाल के लाल रोड मैदान में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमस्ट्री की हिंदी पुस्तकों का विमोचन कियां। इस विषय को लेकर सन शाइन न्यूज की एडिटर डॉ. दीपक अग्रवाल ने अमरोहा के जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकोें से परिचर्चा की।
जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.प्रेमा पंत त्रिपाठी का मानना है कि चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में होने से हिंदी माध्यम से इंटर की परीक्षा पास करने वाले छात्र-छात्राओं को बहुत सुविधा हो जाएगी। यह सरकार का स्वागतयोग्य कदम है।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. चरन सिंह ने बताया कि रूस, चीन, जापान, फ्रांस, जर्मनी आदि देशों में उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाई होती है। भारत से भी जो छात्र वहां पढ़ने जाते हैं उन्हें पहले वहां की भाषा सीखनी पड़ती है। इसीलिए चिकित्सा की पढ़ाई अपनी मातृभाषा हिंदी शुरू करना प्रशंसनीय है।
वरिष्ठ परामर्शदाता/हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील तेवतिया का मानना है कि मातृभाषा हिंदी में पढ़ाई होना गौरव की बात है। इससे पढ़ाई आसान होगी और पढ़ने वालों की समझ में भी आसानी से आएगा। उनकी ग्रहणता बढ़ेगी।
वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.टीपी सिंह का मानते हैं कि अपनी भाषा में जो तरक्की की जा सकती है वह दूसरी भाषा के सहारे नहीं की जा सकती है। चिकित्सा की हिंदी में पढ़ाई से तरक्की के नए आयाम स्थापित होंगे।