डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
श्रीमद् दयानंद आर्य कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा की प्राचार्या डॉ सुमेधा ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती युग प्रवर्तक, विचार दृष्टा, त्रेतवाद के उद्घोषक थे। दीपक जलाने से अंधकार मिट सकता है कोहरा नहीं।
जगदीश सरन हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अमरोहा में
स्वामी दयानंद सरस्वती दर्शन के विविध आयाम विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन समापन समारोह में महाविद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया तत्पश्चात स्वागत भाषण और संक्षिप्त परिचय डॉ बीना रूस्तगी द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि प्राचार्या डॉ. सुमेधा ने कहा कि महर्षि दयानंद का नारी शिक्षा के जागरण में अतुलनीय योगदान है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो राजेश्वर मिश्र ने कहा कि महर्षि दयानंद ने कुप्रथाओं और कुरीतियों जैसी बुराई पर सबसे निर्भीक प्रहार किया। वह ऐसे विद्वान और श्रेष्ठ व्यक्ति थे जिनका अन्य मताबलंबी भी सम्मान करते थे।
जिसके व्यवहार से सुख मिले वही आर्य
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ने कहा कि आईसीपीएआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद मिश्र ने कहा स्वामी दयानंद के अनुसार सच्चा आर्य वह है जिसके व्यवहार से प्राणी मात्र को सुख मिलता है और जो इस पृथ्वी पर सत्य अहिंसा परोपकार पवित्रता आदि गुणों को विशेष रूप से धारण करता है। वेदों की ओर लौटो यह उनका प्रमुख संदेश व नारा था।
प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष लीलाधर अरोड़ा के अनुसार स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि वह अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, धर्मानुसार काम करता है और दूसरों को उत्तम और प्रसन्न बनाने का काम करता है। प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष उमेश कुमार गुप्ता ने अमरोहा की गौरव गाथा और सांस्कृतिक एकता के वातावरण को उल्लेखित किया। कहा स्वामी दयानंद भारत में पुनर्जागरण के मुख्य पुरोधा थे। सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ वीर वीरेंद्र सिंह ने किया।
सत्र में स्वामी दयानंद का समाज दर्शन पर चर्चा
सेमिनार के दूसरे दिन तृतीय सत्र का विषय स्वामी दयानंद का समाज दर्शन रहा। इस विषय पर मंच पर अध्यक्ष के रूप में डॉ. सत्यकेतु लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ अजीत सिंह उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ, विषय विशेषज्ञ डॉ आर के गुप्ता, बरेली कॉलेज बरेली, डॉ. नीलम बीडीएमयू महाविद्यालय, शिकोहाबाद और डॉ यश कुमार ढाका शोभायमान रहे। इस सत्र में चंद्र प्रकाश यादव, डॉ संजय जौहरी, डॉक्टर नरेंद्र सिंह डॉ मनोज डॉ सुमित गंगवार डॉक्टर मोहित वर्मा डॉ सौरभ कुमार सहित लगभग डेढ़ दर्जन विद्वतजन और शोधार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पीयूष शर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ नवनीत विश्नोई ने किया।
चतुर्थ सत्र में मंचीय अध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर सारस्वत मोहन मनीषी , विशिष्ट अतिथि डॉक्टर सुनील चौधरी प्राचार्य केजीके कॉलेज मुरादाबाद, डॉ यशवंत ढाका, जेएनयू, डॉ आनंद कुमार सेवानिवृत्त आईपीएस रिसर्च फेलो महर्षि दयानंद शोध पीठ चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, प्रोफेसर अजीत कुमार जैन श्री वार्ष्णेय महाविद्यालय अलीगढ़ रहे। इस सत्र में लगभग एक दर्जन शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रिका वाचन किया और सामाजिक परिपेक्ष में महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों को प्रस्तुत किया। इस सत्र में कुमारी मधुमिता कुमारी कोमल वार्ष्णेय श्री राजकुमार ओमवती डॉक्टर नरेंद्र सिंह डॉ मनोज कुमार डॉ सुमित गंगवार मोहिता वर्मा श्री सौरभ कुमार आदि ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम का कुशल संचालन अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ हिमांशु शर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉक्टर बीना रूस्तगी ने किया।