डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/सनशाइन न्यूज (उत्तर प्रदेश)
जगदीश सरन हिंदू पीजी कॉलेज अमरोहा में ’ 05 व 06 नवंबर, 2022 दिन शनिवार एवं रविवार’ को ’महर्षि दयानंद सरस्वती के दर्शन के विविध आयाम’ विषय पर निहित यथार्थ ज्ञान से आत्मिक उन्नति एवं साधना का मार्ग प्रशस्त कर इहलौकिक अभ्युदय पर चर्चा एवं विचार विमर्श हेतु भारतवर्ष के शिष्ट विशिष्ट मनीषी जुटेंगे।
भारत में नवजागरण के पुरोधा, प्रमुखतरू धर्म एवं समाज- सुधारक के रूप में ख्याति प्राप्त दार्शनिक महर्षि दयानंद सरस्वती सच्चे शिव अर्थात परमसत्य के अन्वेषण संलग्न अद्वितीय जिज्ञासु, सत्यान्वेषी विद्वान और चिंतक हैं, जिन्होंने प्रचलित भारतीय दार्शनिक स्थानों की स्वतंत्र समालोचना पूर्वक मौलिक एवं तार्किक दर्शनशास्त्रीय अवधारणाओं का प्रतिपादन किया है। उनका चिंतन संप्रदाय विशेष पर अवलंबित ना होकर वेदानुसारी मौलिक तथा मानव जीवन के लिए उपयोगी है, जिसे समग्र रूप में ’दयानंद दर्शन’ कहा जा सकता है।
कुलपति होंगे मुख्य अतिथि
प्राचार्य डॉ वीर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि सेमिनार के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र में प्रोफ़ेसर वाचस्पति मिश्र अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे ; साथ ही प्रोफेसर के.पी. सिंह , कुलपति, महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, मुख्य अतिथि होंगे।
विशिष्ट अतिथि डॉ सुमेधा, प्राचार्य श्रीमद् दयानंद आर्ष कन्या गुरुकुल,चोटीपुरा अमरोहा रहेंगी। विषय प्रवर्तक के रूप में प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद मिश्र, पूर्व कला संकायाध्यक्ष, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र होंगे। मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर विनय विद्यालंकार, आचार्य गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार होंगे।
दूसरे दिन समापन सत्र में अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर सच्चिदानंद मिश्रा, सदस्य सचिव, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर संध्या रानी
क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, बरेली एवं सारस्वत अतिथि के तौर पर प्रोफेसर सारस्वत मोहन मनीषी,
कवि एवं साहित्यकार एवं आचार्य, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली रहेंगे।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुधीर कुमार आर्य, संकाय अध्यक्ष संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान, जेएनयू, दिल्ली एवं प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद, पूर्व कला संकाय अध्यक्ष, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र होंगे।