डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
ब्राह्मण सभा के महामंत्री मनु शर्मा एडवोकेट ने कहा कि समलैंगिकता भारतीय मनीषियों द्वारा स्थापित सांस्कृतिक मूल्यों को खंडित करने वाली कुसंस्कृति है । जिस पर विचार ही नहीं किया जाना चाहिए । इसे विधिक मान्यता दिए जाने से समाज में सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास और पतन होगा ।
ब्राह्मण सभा के महामंत्री, बुद्धिजीवी और विधि के जानकार मनु शर्मा एडवोकेट ने बताया कि इस समय समलैंगिकता विषय पर बुद्धिजीवियों में काफी बहस छिड़ी हुई है । जबकि समाज के विभिन्न वर्ग इसे समाज विरोधी और सांस्कृतिक मूल्यों के विरुद्ध बताकर इसका विरोध जता रहे हैं । हाल ही में समलैंगिकता के मुद्दे पर माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई किए जाने पर सहमति जताई गई है । तभी से इस पर बहस छिड़ी हुई है । उन्होंने बताया कि समलैंगिकता समाज विरोधी होने के साथ-साथ भारतीय मनीषियों द्वारा स्थापित सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्था के प्रतिकूल है । इसे कानूनी मान्यता मिलने से भारतीय समाज में सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास हो जाएगा । किसी भी कानून को बनाने से पूर्व उसके सामाजिक पहलुओं पर विचार और विमर्श किया जाता है । जब समाज का एक बड़ा वर्ग उस मांग को मान्यता दे देता है तभी वह हमारे नीति नियंताओं द्वारा कानून की शक्ल में लागू हो पाती है । जहां तक समलैंगिकता का सवाल है । भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और परिवेश ने कभी भी इसे मान्यता प्रदान किए जाने की पैरवी या वकालत नहीं की है । इसलिए समलैंगिकता को मान्यता देकर किसी भी कीमत पर समाज पर थोपना उचित नहीं है । प्रकृति द्वारा प्राकृतिक संरचना भी प्रत्येक जीव जंतु और मनुष्यों में नर एवं मादा के रूप में व्यवस्थित एवं स्थापित की गई है । इससे सांस्कृतिक व सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा । यह तो प्रकृति के बने नियमों में सीधा सीधा हस्तक्षेप होगा ।