डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/सनशाइन न्यूज (उत्तर प्रदेश)
जगदीश सरन हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अमरोहा में एक जून को मानवीय मूल्यों का समावेशीकरण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं
कार्यशाला के संयोजक महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर वीर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को दया, परोपकार, सत्य, अहिंसा जैसे मानवीय गुणों का समावेश अपने जीवन में आवश्यक रूप से करना चाहिए। मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है, मानवजाति के लिए पीड़ाकारक कार्यों से बड़ा कोई पाप नहीं होता। विद्यार्थियों को मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करना ही हमारी संपूर्ण शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होना चाहिए। वाणिज्य विभाग के प्रभारी प्रोफेसर अनिल रायपुरिया ने व्यापार और मानवीय मूल्यों पर विचार रखें। प्रोफ़ेसर बीना रुस्तगी ने कबीर, सूर, तुलसी आदि हिंदी कवियों के साहित्य में प्रतिबिंबित मूल्यपरक शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि साहित्य हमें मानव हित में संलग्न रहने की प्रेरणा देता है।
अनुशासनप्रियता जरूरी
महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर डॉ नवनीत विश्नोई ने अनुशासन को मानवीय गुणों में प्रमुख बताते हुए कहा कि अनुशासनहीन व्यक्ति ना तो अपना और ना ही समाज का भला कर सकता है। अनुशासनप्रियता से सारे गुण आने लगते हैं, और इसके विपरीत स्वच्छंदता बुराइयों को जन्म देती है। इस मौके पर अंग्रेजी विभाग के प्रभारी हिमांशु शर्मा ने कहा कि हमारी सारी शिक्षा और संसाधनों की सार्थकता उनके मानव कल्याण हेतु प्रयोग किए जाने पर ही है। हमें प्रत्येक कार्य का मूल्यांकन मानवीय मूल्यों के आधार पर करना चाहिए। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर मनन कौशल, डॉ अनुराग पांडेय डॉ विशेष कुमार राय राजकिशोर शुक्ला डॉ पीयूष कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर वीर वीरेंद्र सिंह ने तथा संचालन डॉ अरविंद कुमार शास्त्री ने किया।