डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
16 जुलाई रात के 9 बजे। सिंक की जाली साफ करते हुए अचानक दाहिने हाथ के अंगूठे में कट लग जाने से तेजी से खून ने टपकना शुरू कर दिया। इस टपकते खून ने बचपन की चोटों और अम्मा के दुलार की याद ताजा करा दी।
बचपन में कई बार चोटे लगी। करीब 45 साल पहले हम जनपद बिजनौर के कस्बा हल्दौर में रहते थे, बाये हाथ के बीच अंगुली दरवाजे में आ गई थी पट्टी कराने के बाद भी खून रिसता रहा। करीब दो घंटे बाद खून का रिसाव बंद हुआ। अम्मा पूरे समय पास बैठी रहीं। इस तरह की घटनाएं बचपन में 5 बार घटी जिनमंे काफी खून बहा।
अब 16 जुलाई 2023 को जब अगूंठा में कट लगा और खून बहने लगा तो बेटा तुरंत फर्स्ट ऐड बाक्स लाया और रुई पर दवा लगाकर खून रोकने का प्रयास करता रहा पास में खड़ी पत्नी घबराने लगी। लेकिन मैं शांत होकर खड़ा रहा और बचपन की चोटे में खो गया। करीब 100 एमएल खून बहने पर मैंने बेटे से कहा किसी डाक्टर के पास चलते हैं। अमरोहा में कई डाक्टर अपने मित्र है लेकिन रविवार के कारण मैं किसी को परेशान भी नहीं करना चाह रहा था। काफी मशक्कत करने के बाद खून का बहना रूक गया और बेटे ने पट्टी कर दी। इसी बीच मैंने अपने एक डाक्टर मित्र को फोन कर घटना से अवगत कराया। वह बोले तुरंत आ जाओ। उनके पास जाकर अंगूठा दिखाया और वह बोले कट काफी गहरा है, उन्होंने पट्टी की, टीटी का इंजेक्शन लगाया और दवा दी। फिर बचपन की चोटों पर 30 मिनट चर्चा हुई।
साथ ही अम्मा के सानिध्य की कमी भी महसूस हुई। आज सब कुछ है पर अम्मा का दुलार नहीं है।