डॉ. दीपक अग्रवाल की विशेष वार्ता
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों कवि दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहे हैं भारत के पहले शास्त्रीय की-बोर्ड प्लेयर पंडित विजय चंद्रा। उनका मानना है संगीत ही जीवन है और संगीत के बिना जीवन नीरस है। रागों के सामने में प्रकृति भी नतमस्तक हो जाती है।
प्रयागराज से अमरोहा पहुंचे
6 जुलाई 2023 को प्रयागराज से अमरोहा सांस्कृतिक परिषद संगीत विद्यालय में संगीत की मौखिक परीक्षा लेने पहुंचे पंडित विजय चंद्रा से पत्रकार डॉ. दीपक अग्रवाल ने अमरोहा के एक होटल मंे वार्ता की। पेश हैं वार्ता के प्रमुख अंशः
पंडित विजय चंद्रा भारतीय शास्त्रीय संगीत के जानने व पसंद करने वालों के बीच एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रदर्शन के लिए लीक से हटकर एक ऐसा विदेशी साज-इलेक्ट्रानिक सिंथेसाइजर चुना जिस पर शास्त्रीय संगीत की साधना एक कठिन और मुश्किल काम था। काम आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इस वाद्ययंत्र पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रशंसनीय कार्य किया है।
उनका जन्म 26 नवंबर 1962 को मिर्जापुर में हुआ। पिता स्व.तोताराम प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक और माता स्व. मैना देवी प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका थीं।
विदेश में प्रस्तुति सराहनीय
पंडित विजय चंद्रा ने बताया कि कलाकार अदनान सामी की प्रस्तुति में नया प्रयोग सुनकर उनके मन में आधुनिक साज की-बोर्ड पर शास्त्रीय वादन की इच्छा प्रबल हुई और वे इसकी साधना में जुट गए। इसके लिए रागदारी सीखी और साधना जारी रखी। लगन और निष्ठा से अभ्यास करने पर शास्त्रीय की-बोर्ड वादन कला प्राप्त करने में सफलता मिली। उन्होंने बताया कि शास्त्रीय की-बोर्ड प्लेयर के रूप में यशभागी बने। देशभर में उनकी प्रस्तुति लोकप्रिय बन रही हैं। उन्होंने थाइलैंड, मलेशिया, कंबोडिया आदि कई देशों में शास्त्रीय की-बोर्ड वादन से भारत का गौरव बढ़ाया।
2010 से प्रभाकर डिग्री में शामिल
श्री चंद्रा ने बताया कि नई पीढ़ी को इसका लाभ मिले इसके लिए उन्होंने प्रयास कर 2010 से प्रयाग संगीत समिति प्रयागराज में शास्त्रीय की-बोर्ड वादन में प्रभाकर की डिग्री को शामिल कराया। वह आइसीसीआर और ईजेडसीसी के पैनल आर्टिस्ट के रूप में देश के विभिन्न भागों में अपने शास्त्रीय की- बोर्ड वादन से नई पीढ़ी को प्रेरणा दे रहे हैं।
फिल्मों में भी योगदान
इनकी प्रतिभा के अन्य आयाम भी हैं। उन्होंने फिल्म बेदर्दी और मराठी फिल्म आंदोलन में पार्श्व संगीत में योगदान दिया। प्रख्यात गजल गायिका पीनाज मसानी मुबंई, उस्ताद अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन जयपुर, भजन सम्राट अनूप जलोटा आदि के साथ भी अनेक कार्यक्रमों में योगदान दिया। वह आकाशवाणी और दूरदर्शन के सुपरिचित कलाकारों में गिने जाते हैं। उनका बेटा रागामान भी मुंबई में सिंगर हैं।
उन्होंने बताया कि नये कलाकारों और छात्र-छात्राओं को अधिक से अधिक साधना करनी चाहिए। संगीत की विधाएं साधना मांगती हैं, जो स्वयं को साध लेता है उसे सफलता अवश्य मिलती है।
उन्हें उत्तर प्रदेश कला अकादमी ने भारतीय रागों की एकल प्रस्तुति के लिए श्रेष्ठ कलाकार के रूप में सम्मानित किया। इसके अलावा देश की विभिन्न संस्थाओं ने भी सम्मानित किया है।
निःसंदेह पंडित विजय चंद्रा का काम पद्मश्री पुरस्कार के योग्य है जिसकी संस्तुति सरकार से भजन सम्राट अनूप जलोटा समेत अन्य ख्यातिलब्द्ध कलाकारों ने की है।
संपर्क सूत्रः पंडित विजय चंद्रा-9415217083