डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
5 सितंबर को हम प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं शिक्षकों को यह सम्मान भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने दिलाया है।डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी एक शिक्षक रहे थे, जब उनके शुभचिंतकों ने उनका जन्मदिन मनाने के लिए उनसे कहा था। तो उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरे जन्मदिन को प्रत्येक शिक्षक के सम्मान दिवस के रूप में मनाया जाए अथवा शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। तभी से हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। हमारे देश में गुरु को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है। गुरु के लिए कहां भी गया है कि। गुरु गोविंद दाउ खड़े काके लागूं पाए। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए। अर्थात गुरु और गोविंद (भगवान ) जब एक साथ मिल जाएं तो हमें सर्वप्रथम गुरु के ही चरण स्पर्श करने चाहिए। क्योंकि गुरु की कृपा से ही ईश्वर का ज्ञान हुआ है। इसके साथ ही व्यक्ति के मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक अथवा सर्वांगीण विकास में शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता है।
शिक्षकों के विषय में कबीर दास की यह पंक्तियां आज भी प्रासंगिक हैं। गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले ना मोक्ष। गुरु बिन लखे न सत्य को, गुरु बिन मिटाने न दोष।। बिना गुरु के ज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए।वर्तमान के परिपेक्ष में देखा जाए तो शिक्षक अपने मूल कार्य (शिक्षण) के अलावा भी सरकार द्वारा चलाई गई अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं,जैसे विद्यालय में मिड डे मील बनवाना छोटे बच्चों को पल्स पोलियो की दवाइयां पिलवाना ,पेट के कीड़े मारने की दवाई खिलवाना, आयरन और कैल्शियम की दवाइयां खिलवाने के साथ- साथ जनगणना ,बालगणना, बीएलओ, निर्वाचन के कार्य शिक्षक द्वारा किए जा रहे हैं आज हम शिक्षा के क्षेत्र में बहुत तरक्की कर चुके हैं आज हम चंद्रमा पर भी पहुंच चुके हैं इसके लिए भी मैं देश के सभी शिक्षकों को धन्यवाद देता हूं और शिक्षक दिवस की बधाई देता हूं जिन्होंने हमारे देश को ऐसे होनहार इंजीनियर और वैज्ञानिक तैयार करके दिए हैं जिनके कारण आज हम पूरी दुनिया में अपने देश का नाम रोशन कर पा रहे हैं। यह सभी कार्य बिना गुरु की शिक्षा/ज्ञान के सम्भव नहीं हो सकता है। इसलिए आज उन सभी शिक्षकों/ गुरुओं को जो इस दुनिया में हैं या जो अब नहीं रहे हैं,उन सभी को बहुत बहुत नमन, बहुत बहुत वंदन।
योगाचार्य महेश कुमार
प्रधानाध्यापक प्राथमिक
विद्यालय शेखुपुरा इम्मा
अमरोहा।
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लक्ष्य भेदने का जिसने मार्ग दिखाया
मिटटी से जिसने सोना बनाया, जिंदगी को जिसने जीना सिखाया, लक्ष्य भेदने का जिसने मार्ग दिखाया, उन गुरुओं को शत् शत् नमन ..मेरा परम सौभाग्य है कि आज मैं जिस स्थान पर हूँ सब कुछ मेरे गुरुओं मेरे माता पिता के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है। एक शिक्षक के रूप में मैं पूरे हृदय से तन, मन, धन से समर्पित हूँ। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिन्हें याद करके हम प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाते है उनका शिक्षा के महत्व और एक बेहतर समाज को आकर देने में शिक्षकों की भूमिका पर द्रढ़ विश्वास था उनके सम्मान में उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में घोषित किया गया था। भारत में प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका व मराठी कवियत्री परमादरणीय सावित्रीबाई फुले जी को नमन् उन्होंने 1848 में बालिकाओं के लिए विद्यालय की स्थापना की उनका हृदय की गहराई से आभार व कोटि कोटि नमन। कितने संघर्ष के साथ उन्होंने हमारे लिए शिक्षा का बेड़ा उठाया। भारत में सभी के लिए शिक्षा का अधिकार दिलाने वाले परमपूज्य बाबा साहेब अम्बेडकर जी को कोटि कोटि नमन, वे थे तो हम हैं। यह दिन शिक्षक और शिष्य दोनों के लिए विशेष होता है बच्चे इस दिन की तैयारी बहुत पहले से शुरू कर देते हैं कार्ड बनाकर डान्स, म्यूजिक, नाटक मिमीक्री और न जाने कितनी चीजों को कर के त्यौहार की तरह मनाते हैं। मेरी व मेरे परिवार की ओर से सभी देशवासियों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
डॉ रेनू वडडा
सहायक अध्यापक
कम्पोजिट स्कूल पीलाकुंड अमरोहा।