डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
गरीब भक्त की प्रभु को भेंट
हे कृष्ण तुम्हारे कई उपासक कई ढंग में आते हैं ,
सेवा में बहुमूल्य भेट वे कई रंग की लाते हैं ।
धूमधाम से साज-वाज से वे मंदिर में आते हैं,
मुक्तामणि हीरे मोती लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं ।
मैं हूं एक गरीब खाटू जी कुछ भी साथ नहीं लाया ,
फिर भी साहस कर द्वारे पर दर्शन करने को आया
धूप दीप नहीं है संग में झांकी का श्रृंगार नहीं ,
और गले में पहनने को फूलों का भी हार नहीं ।
स्तुति कैसे करूं प्रभु जी स्वर में मेरे मधुरता नहीं ,
मन का भाव प्रकट करने को मुझमें कोई चातुर्य नहीं ।
दान – दक्षिणा नहीं प्रभुवर खाली हाथ चला आया ,
पूजा की विधि नहीं जानता फिर भी नाथ चला आया ।
पूजा और पुजापा प्रभुवर इसी पुजारी को समझो ,
दान दक्षिणा और न्योछावर इसी भिखारी को समझो ।
चरणों में अर्पित यह मन है चाहे तो स्वीकार करो ,
यह वस्तु आपकी ही है ठुकरा दो या प्यार करो ।
मुन्नी देवी
जवाहर गंज मंडी गढ़मुक्तेश्वर
उत्तर प्रदेश।