डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
उत्तर प्रदेश अधिवक्ता वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले जनपद न्यायालय के अधिवक्ताओं ने विचार गोष्ठी कर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीनों आपराधिक कानूनों को को लागू करने से पूर्व व्यापक सार्वजनिक चर्चा किए जाने की बात कही है ।
बुधवार को दोपहर बाद अधिवक्ता राजीव गोले के चेंबर पर आहूत की गई विचार गोष्ठी में उत्तर प्रदेश अधिवक्ता वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मनु शर्मा एडवोकेट ने कहा कि सरकार द्वारा भले ही अंग्रेजों द्वारा बनाए गए तीनों अपराधिक सीआरपीसी, आईपीसी एवं साक्ष्य अधिनियम कानूनों को समाप्त कर नए सिरे से नए आपराधिक कानून लागू करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है । यह सरकार का प्रगतिशील एवं स्वागत योग्य कदम है । लेकिन इन प्रस्तावित तीनों कानूनों के प्रावधानों एवं विधिक जटिलताओं के संबंध में सूक्ष्म और दूरदर्शी विचार करने के लिए सार्वजनिक चर्चा भी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी हमने तीनों प्रस्तावित कानूनों को बारीकी से नहीं पढ़ा है । जिस कारण उन पर कोई भी टिप्पणी की जानी उचित नहीं है । परंतु इस संबंध में देश के बड़े कानून विशेषज्ञों से विचार विमर्श और आम सहमति के उपरांत ही उपरोक्त तीनों कानून को लागू किये जाना ही व्यवहारिक तौर पर उचित होगा । उदाहरण के तौर पर ई एफआईआर एवं हिट एंड रन से संबंधित मामलों के प्रावधानों पर भी पुनर्विचार करना चाहिए । इसलिए सरकार को जल्दबाजी में इन्हें लागू करने से बचने की आवश्यकता है । जबकि यह सरकार की श्रेष्ठ और प्रगतिशील सोच का नतीजा है कि इन कानूनों को नए सिरे से लागू किया जा रहा है । चौधरी महाराज सिंह एडवोकेट ने कहा कि अभी इन कानूनों के संबंध में जल्दबाजी में कुछ भी कहना उचित नहीं है लेकिन हिट एंड रन से संबंधित जो प्रावधान सरकार द्वारा ले गए हैं वह व्यवहारिक नजर आते हैं । राजीव गोले एडवोकेट ने कहा कि सरकार को जल्दबाजी में कानून बनाने नहीं चाहिए बल्कि उन पर सार्वजनिक चर्चा करनी चाहिए । खुसरो नदीम एडवोकेट ने कहा कि जो कानून केंद्र सरकार लागू करने जा रही है उसके विधिक पहलुओं पर सार्वजनिक चर्चा करनी आवश्यक है इसके लिए तो किसी सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कानून वेदों का एक पैनल बनाकर उसकी समीक्षा की जानी आवश्यक है । संजीव जिंदल एडवोकेट ने कहा कि हम सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास की निंदा या आलोचना नहीं कर रहे परंतु जो कानून बनाएं जा रहे है उन्हें लागू करने से पूर्व उनके विधिक पहलुओं पर बारीकी से अध्ययन करने की भी आवश्यकता है । विचार गोष्ठी की अध्यक्षता चौधरी महाराज सिंह ने संचालन मनु शर्मा ने किया । इस अवसर पर मुख्य रूप से राजीव कुमार गोले, संजीव जिंदल, खुसरो नदीम, शैलेंद्र सिंह सोनू, दिनेश सिंह, राजीव सिंह सैनी, देवेंद्र सिंह, चंद्रगुप्त मौर्य, रोहित चौधरी, राजपाल सिंह सैनी, वीर सिंह सैनी, श्रवण सैनी, मुकिते सरवर आदि अधिवक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।