डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
10 जनवरी 2024 को जगदीश सरन हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय अमरोहा के हिंदी विभाग में विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष में एक विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं हिंदी विभागाध्यक्षा प्रोफेसर डॉ. बीना रुस्तगी ने हिंदी को विश्व की भाषा बताते हुए उसके वैश्विक परिदृश्य पर प्रकाश डाला अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि देश-विदेश में हिंदी की पहचान हिंदी लेखकों-चिंतकों के कारण है, लेकिन हिंदी की असली शक्ति हिंदी भाषी जनता ही है। हिंदी विश्व की ऐसी भाषा है जो जन-जन को ही नहीं जोड़ती बल्कि मन को भी जोड़ती है।
उद्देश्य हिंदी का प्रचार-प्रसार करना
डॉ.बबलू सिंह ने कहा भाषा अनेकता में एकता को स्थापित करने की सूत्रधार है और प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य दुनिया भर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और भारतीय संस्कृति को दूसरे देशों में पहुंचना है। डॉ.सविता ने कहा कि वर्तमान में भारत के अलावा फिलिपींस, मॉरीशस, नेपाल, सूरीनाम, फिजी, तिब्बत आदि कई देशों में हिंदी भाषा का विस्तार तीव्र गति से हो रहा है।
नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ
इसके इतिहास पर प्रकाश डालते हुए डॉ.विशेष कुमार राय ने बताया कि 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था। जिसके आधार पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने औपचारिक रूप से वर्ष 2006 में विश्व हिंदी दिवस को मनाने की परंपरा का शुभारंभ किया। भाषा और उसके योगदान का सम्मान करने के लिए ये दिवस आवश्यक है। डॉ.रणदेव सिंह ने कहा प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष विश्व हिंदी दिवस का ध्येय वाक्य है श्हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुद्धिमत्ता को जोड़ना है। और हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सबको मिलकर कार्य करना होगा जिससे विश्वपटल पर हिन्दी की अमिट छवि स्थापित हो। डॉ. जावेद ने कहा कि हिंदी भाषा विश्व में अंग्रेजी और मंदारिन के बाद तीसरे बोली जाने वाली भाषा है और इसके विस्तार हेतु निरन्तर प्रयास आवश्यक हैं। अन्त में डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि हमें हिंदी की गरिमा और महत्व को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जिससे हमें हमेशा अपनी भाषा पर अभिमान रहे और हम इससे जुड़े रहें। संचालन राजीव कुमार ने किया।