डॉ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
जेएस हिन्दू (पीजी) कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर वीर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि साहित्यिक रचनाओं में कल्याण का भाव जरूरी होता है।
हिंदी विभाग में गोष्ठी
जेएस हिन्दू (पीजी) कॉलेज के हिंदी विभाग में विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय हमारा समय और साहित्य ।
साहित्यकार एक सामाजिक प्राणी भी
शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर वीर वीरेंद्र सिंह व हिंदी विभागाध्यक्ष अध्यक्ष प्रोफेसर बीना रूस्तगी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर प्रोफेसर वीर वीरेंद्र सिंह ने छात्रों ने कहा कि साहित्यकार एक सामाजिक प्राणी भी है अतः वह वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की चिंता भी करता है। मानव मात्र के कल्याण का भाव प्रत्येक साहित्यकार के साहित्य का प्रमुख उद्देश्य होता है जिस रचना में कल्याण का भाव निहित नहीं वह साहित्य हो ही नहीं सकता। इस अवसर पर छात्र छात्राओं संबोधित करते हुए हिंदी विभाग अध्यक्षा डॉ बीना रूस्तगी जी ने कहा साहित्य हर काल में प्रासंगिक है संत कबीर दास का साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके काल में था।
साहित्य और जीवन आपस में जुड़े
इस अवसर पर डॉ०बबलू सिंह ने कहा कि साहित्य और जीवन आपस में बहुत गहरे से जुड़े हैं। डॉ. मोहम्मद जावेद ने कहा कि जो साहित्यकार अपने जीवन में मानव सहानुभूति से परिपूर्ण नहीं है वह बड़े साहित्य का सृजन नहीं कर सकता। इस अवसर पर छात्रा अलशीफ नूर, नीशू जोशी ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. रणदेव सिंह व डॉ. जावेद ने संयुक्त रूप से किया। शिवि चौहान, मोनिका ,रिजवान, फारूक अली, ईशान माहेश्वरी ,रुबीना, अनु, साक्षी, शिवम व शुभम आदि ने भाग लिया कार्यक्रम के अंत में विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया।