डॉ. दीपक अग्रवाल की पुस्तक ‘प्रेरणा-पुंज‘ से
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
घर में ही क्या पूरे गांव में का ही विद्युतीकरण नहीं हो पाया था लिहाजा लैंप और मिट्टी के तेल की डिबिया की बत्ती से निकलते धुएं के बीच पढ़कर कर एक बच्चा कलेक्टर बन जाता है। तो पूरे गांव को उस पर नाज होना लाजमी है। वह बच्चा कोई नहीं बल्कि जनपद अमरोहा के जिलाधिकारी राजेश कुमार त्यागी हैं।
परिषदीय स्कूल से पढ़ाई की
उनका बचपन कड़े संघर्ष की कहानी है। आज के इंटरनेट और संचार क्रांति के दौर में जी रह बच्चों के लिए उनकी कहानी किसी अजूबे से कम नहीं लगेगी। जनपद जौनपुर के गांव गहली में 5 जनवरी 1971 को उनका जन्म हुआ। पिता स्व. श्री इंद्रजीत प्राथमिक विद्यालय निगोह में शिक्षक थे। माता बलराजी देवी गृहणी हैं। राजेश की प्राइमरी शिक्षा उनके गांव से तीन किलोमीटर दूर स्थित प्राथमिक विद्यालय निगोह में हुई। उनके पिता इसी स्कूल मंे शिक्षक थे जो साइकिल से स्कूल जाते थे लेकिन वे अपने बेेटे राजेश को साइकिल पर स्कूल लेकर नहीं जाते थे बल्कि राजेश अन्य बच्चों के साथ शुरू से ही हर रोज तीन किलोमीटर पैदल स्कूल जाते थे और पैदल ही स्कूल से घर आते थे ऐसा उनके पिताजी ने उनमें संघर्ष का जज्बा पैदा करने के लिए किया। दूसरे वह अन्य बच्चों से स्वयं को अलग न समझे। बस एक बार राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा दिलाने उनके पिताजी उन्हें साइकिल पर बैठाकर ले गए थे।
कबड्डी खेलने के चक्कर में स्कूल पहंुचने में देर
कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा भी उनकी इसी गांव में प्राथमिक विद्यालय के पास स्थित झोपड़ी में बने उच्च प्राथमिक विद्यालय निगोह में हुई। जब वह कक्षा सात में थे अन्य बच्चों के साथ कबड्डी खेलने के चक्कर में स्कूल पहंुचने में देर हो गई। इस पर उनके पिताजी ने स्वयं भी पिटाई की और अन्य शिक्षकों से भी कहा कि इन्होंने गलती की इनकी पिटाई करिए। उस दिन की पिटाई के बाद वह कभी भी स्कूल पहंुचने में लेट नहीं हुए।
कक्षा 9 व 10 की पढ़ाई आदर्श नेहरु इंटर कालेज आलमगंज में की। आलमगंज उनके गांव से 5 किलोमीटर दूर था। इस कालेज में भी वह हर रोज अपने घर वे 5 किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे और इतना ही सफर तय कर कालेज से वापस घर आते थे। हाईस्कूल में 74 फीसदी अंक हासिल किए। राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा के आधार पर उन्हें राजकीय इंटर कालेज इलाहाबाद पढ़ने का मौका मिला। इस कालेज में उन्होंने कक्षा 11 में एडमिशन लिया और इंटर की परीक्षा यहीं से पास की। लेकिन इंटर मंे द्वितीय श्रेणी आई। इस पर पिताजी ने समझाया और मन लगाकर आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया।
इंटर की परीक्षा में अच्छा रिजल्ट न आने पर वह गर्मियों की छुट्टियों में अपने गांव नहीं गए और इलाहाबाद में ही रहकर पढ़ाई में जुट गए। इसका परिणाम यह हुआ कि
1987 में पहली बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा हुई। इस परीक्षा में उन्होंने 400 मूें से 398 अंक प्राप्त कर टॉप किया।
परिजनों ने बीए करने के लिए मना भी किया
इंटर की पढ़ाई पीसीएम से करने के बाद भी उन्होंने बीएससी में प्रवेश न लेकर बीए में एडमिशन लिया। इंजीनियरिंग के लिए भी सलेक्शन हो गया था। हालांकि परिजनों ने बीए करने के लिए मना भी किया। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना था लिहाजा बीए और एमए इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। बीए में हिंदी साहित्य, प्राचीन इतिहास व दर्शनशास्त्र विषय रहे।
1992 में पीसीएस: एसडीएम कैडर मिल गया
पहले प्रयास में ही 1992 में आईएएस परीक्षा में सफलता हासिल की और आईआरपीएस कैडर मिला। उन्होंने रेलवे में एपीओ पद पर ज्वाइन किया। उसके बाद एसपीओ भी बन गए। लेकिन यहां मन नहीं लेगा। वह विशुद्ध रूप से प्रशासनिक सेवा में आना चाहते थे। 1992 में पीसीएस की परीक्षा भी दी जिसका परिणाम विलंब से आया और उन्हें इस परीक्षा में सफलता पर एसडीएम कैडर मिल गया। 25 अक्टूबर 1997 को अल्मोड़ा में एसडीएम ट्रेनी ज्वाइन किया। उसके बाद मसूरी, ऋषिकेश, रामपुर, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर एसडीएम रहे। 2007 में प्रमोशन के बाद सिटी मजिस्ट्रेट मुजफ्फरनगर बने। एडीएम बस्ती, बहराइच, अपर आयुक्त बरेली व झांसी, नगर आयुक्त गोरखुपर रहे। (बैच 2012) 2018 में आईएएस पद पर प्रमोशन मिला। उसके बाद सीडीओ देवरिया। 2019 में विशेष सचिव वाणिज्य कर रहे। कोविड के दौरान विशेष सचिव चिकित्सा एवं परिवार कल्याण का अतिरिक्त प्रभार रहा। अक्टूबर 2020 को सचिव रेरा बनाए गए। इस दौरान बड़ी चुनौतियांे का सामना किया। तीन दिन लखनऊ और दो दिन नोएडा बैठते थे।
अमरोहा में डीएम के रूप में पहला मौका
12 जून 2023 की पहली बार जिलाधिकारी के रूप में नई पारी की शुरुआत अमरोहा से की। उनकी पत्नी रंजना गृहिणी हैं लेकिन योग के प्रति रूझान होने पर आजकल योग में एमए कर रही हैं। बड़ा बेटा ऋत्विक दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। दूसरा बेटा स्वास्तिक कक्षा 8 में व बेटी मनस्विनी कक्षा 6 में सीएमएस लखनऊ में पढ़ रहे हैं।
सरल और सौम्य व्यवहार से युक्त राजेश अपने स्वास्थ्य के प्रति भी संजीदा हैं इसीलिए नियमित टहलते हैं और योग प्राणायाम भी करते हैं। उनका मानना है कि स्कूल व कालेजों में अनुशासन के लिए कड़ाई जरूरी है। वह मानते हैं कि अपना लक्ष्य स्वयं तय कर मेहनत करनी चाहिए सफलता अवश्य मिलती है।