डॉ. दीपक अग्रवाल की पुस्तक प्रेरणा-पुंज से
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
शादी की बात करने कौन आया है? इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं। ये क्या होता है? बड़े मास्टर साहब हैं अरे है तो मास्टर ही ये शादी में क्या लगाएँगे? ये बात सुनकर प्रोफेसर साहब को मानसिक पीड़ा हुई। वे उस परिवार में भतीजी का रिश्ता लेकर गए थे। उसके बाद उन्होंने अपने अधीन शोध कर रहे 8 शोधार्थियों को प्रशासनिक सेवा के लिए प्रेरित किया। बोले पी-एच.डी. तो कभी भी कर सकते हो, लेकिन अगर प्रशासनिक सेवा की उम्र निकल गई तो कुछ नहीं मिलेगा। परिणाम यह हुआ कि 8 में 7 शोधार्थियों का चयन प्रशासनिक सेवा में हो गया।
ये वाक्या ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शोध कर रहे अश्वनी कुमार मिश्र को प्रशासनिक सेवा की ओर ले गया। वर्तमान में वे अमरोहा में सी.डी.आ.े के पद पर सेवारत हैं। उनका संघर्ष कुछ इस प्रकार हैः
उनका जन्म 1965 में प्रयागराज की तहसील/ब्लॉक कोराँव की ग्राम पंचायत छापर-हरर्दोन मंे हुआ। पिता स्व. भगवान प्रसाद मिश्र किसान थे और माता स्व.सुमित्रा देवी गृिहणी थी। अश्वनी चार भाइयों और चार बहनों में दूसरे नंबर पर हैं।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा इनके घर से ढ़ाई किलोमीटर दूर ग्राम हनुमान गंज के स्कूल में हुई। वे पैदल ही अन्य बच्चों के साथ स्कूल जाते थे। यहाँ वे अपने शिक्षक स्व. बद्रीनाथ तिवारी से बड़े प्रभावित थे। उन्होंने बताया कि गुरुजी समय से स्कूल आते और लगन से पढ़ाते। वे जरूरत होने पर अपने घर बच्चों को शाम को बुलाकर निःशुल्क पढ़ाते थे। शैक्षणिक गतिविधियाँ भी कराते थे।
कक्षा 6 में इनका प्रवेश कोराँव में सरदार बल्लभ भाई पटेल इंटर कॉलेज में कराया गया। इस कालेज में हॉस्टल भी था जिसमें मिट्टी के बने कमरे थे और दो रुपए माह उसका किराया था।
इस कॉलेज में विज्ञान वर्ग की पढ़ाई नहीं होती थी, इसीलिए कक्षा 8 में प्रथम आने पर इनका एडमिशन कोराँव में गोपाल इंटर कालेज में कराया गया। हाईस्कूल में प्रथम श्रेणी आने पर इन्हें आगे की पढ़ाई को जमुना क्रिश्चियन इंटर कॉलेज प्रयागराज आना पड़ा। यहाँ से 1982 में इंटर की परीक्षा पास करने पर इन्होंने इलाहाबाद डिग्री कॉलेज में बी.ए. में प्रवेश लिया। बी.ए. में इनके विषय प्राचीन इतिहास, दर्शनशास्त्र और संस्कृत थे। यहाँ उन्होंने फीस माफी का फार्म भरा। इसी कालेज में इनके चाचा ओंमकार नाथ मिश्र भी एल-एल.बी. में पढ़ते थे, जो छात्र-नेता भी थे। वे उन्हें लेकर फीस माफी कराने के लिए प्राचार्य के पास गए। प्राचार्य ने कहा- ‘‘अगर अश्वनी ने कॉलेज में प्रथम पाँच स्थानों में जगह बनाई तो दोनों वर्षों की फीस माफ कर दी जाएगी।‘‘ इस शर्त को उन्होंने चुनौती के रूप में स्वीकार किया, कड़ी मेहनत कर कॉलेज टॉप किया। परिणामस्वरूप प्राचार्य ने दोनों सालों की फीस माफ कर दी।
इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एम.ए. प्राचीन इतिहास विषय में प्रवेश लिया। प्रवेश परीक्षा में वे 120 छात्रों की मेरिट में दूसरे स्थान पर थे। एम.ए. 68 फीसदी अंकों से पास कर विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया। जबकि लिखित परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहे।
इसके बाद उन्होंने नेट जे.आर.एफ. की परीक्षा पास की। 1990 से 1995 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पुरातत्व शास्त्र विषय में शोधार्थी रहे। जे.आर.एफ. से पहले 2200 रुपए और बाद में एस.आर.एफ. से 2700 रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलती थी। शोध के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करते रहे। यहाँ उनके गाइड प्रोफेसर डॉ. जय नारायण पांडे थे, जिन्होंने अपनी भतीजी की शादी के रिश्ते के दौरान अपमान महसूस करने पर सभी 8 शोधार्थियों को प्रशासनिक सेवा की ओर प्रेरित कर दिया था।
अश्वनी कुमार मिश्र ने बताया कि उन्होंने 1992 से 2000 तक 8 बार पी.सी.एस. और चार बार आई.ए.एस. की परीक्षा दी। पहली बार में ही बी.डी.आ.े के पद पर चयनित हो गए। उसके बाद 1993 में सेल्सटैक्स अधिकारी और 1994 में पुनः बी.डी.आ.े के पद पर चयनित हुए। उसके बाद एस.डी.एम. और डिप्टी एस.पी. के पद के लिए प्रयास करते रहे। लेकिन कभी इंटरव्यू में रह जाते थे कभी मनमाफिक पोस्ट नहीं मिली। लिहाजा पी.सी.एस. 1992 का परिणाम 1996 में आया और उन्होंने 1997 में बदायँू में बी.डी.आत्रे के पद पर ज्वाइन किया। उससे पहले 1996 में उनका चयन राजकीय इंटर कालेज सिमढ़ी खाटली पौड़ी गढ़वाल में प्रवक्ता पद पर हो गया, लेकिन उस कॉलेज में इस पद पर अस्थायी रूप से सेवारत शिक्षक के बेरोजगार होने संबंधी मार्मिक पत्र के कारण ज्वाइन नहीं किया।
रायबरेली, फतेहपुर, प्रतापगढ़ बी.डी.ओ. रहे। 2012 में पदोन्नति के बाद लखीमपुर खीरी व आगरा में उपायुक्त श्रम रोजगार रहे। अप्रैल 2015 से परियोजना निदेशक डी.आर.डी.ए. फैजाबाद, हाथरस व रामपुर रहे। 7 अक्टूबर 2022 को सी.डी.आ.े/जे.डी.सी. के पद पर प्रमोशन हुआ। एक जुलाई 2023 से अमरोहा में सी.डी.ओ. के पद पर सेवारत हैं।
उनकी पत्नी श्रीमती पुष्पा देवी गृहिणी हैं और बेटे विपिन कुमार मिश्र उच्च न्यायालय प्रयागराज में वकालत करते हैं। बेटी श्रीमती ज्योत्सना मिश्र हैं और दामाद संदीप कुमार मिश्र बी.डी.आ.े ललितपुर हैं।
वह नियमित हर रोज आधा घंटा टहलते हैं और बैडमिंटन भी खेलते हैं। उनका लक्ष्य गरीबांे, जरूरतमंदों और दिव्यांगों की सहायता करना है। उन्होंने कई दिव्यांगों को रोजगार से जोड़ा और उनकी शादी में भी मदद की।