डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/लखनऊ/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चों की आयु 6 वर्ष करने से संकट खड़ा हो गया। कई स्कूलों में तो अभी तक कक्षा में प्रवेश संख्या शून्य है। बाल वाटिकाएं अभी शिशुकाल में हैं।
शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया हैं, हालांकि संसाधन स्कूलों में सुधर गए हैं। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद छात्रों की संख्या नहीं बढ़ पा रही हैं, हां कोरानाकाल में जरूर छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ था लेकिन उसके बाद से छात्रों की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। तमाम शिक्षकों ने बताया कि शासन ने अब 31 मार्च तक छह साल की आयु पूरी करने वाले बच्चों के प्रवेश करने का का आदेश दिया है जबकि पहले पांच साल की आयु पूरी करने वाले बच्चों को प्रवेश दे दिया जाता था।
शासन की मंशा तो ठीक है लेकिन समस्या क्रियाव्यन की है शासन ने 3 से 6 साल के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी आगंनबाड़ी की बाल वाटिकाओं को दी है लेकिन अभी तक बाल वाटिकाओं को व्यवस्थित नहीं किया जा सका है। अगर बाल वाटिकाएं व्यवस्थित हो जाएं तो नामांकन का टोटा नहीं रहेगा।