Saturday, September 21, 2024
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डमी स्टूडेंट पर शिक्षिका हिना खुर्शीद का बेवाक लेख

डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)

आजकल प्राइवेट स्कूल में एक नया चलन चला है उसे चलान का नाम है डमी स्टूडेंट। डमी स्टूडेंट वह होते हैं जो घर पर रहकर शिक्षा प्राप्त करते हैं और स्कूल में भी उपस्थित रहते हैं।
उनको एग्जाम दिलवा दिया जाता है लेकिन वह सारे साल स्कूल नहीं जाते और घर पर रहकर और परीक्षाओं की तैयारी करते हैं फिर वही बच्चे कोई सी भी प्रतियोगिता में प्रतिभा करते हैं और उसमें सफलता हासिल करते हैं कंप्टीशन में बैठे हैं सफलता हासिल करते हैं और उन्हें बच्चों के फोटो प्राइवेट स्कूलों की दीवारों पर चस्पा होते हैं जब प्राइवेट स्कूलों में इस तरह का काम हो सकता है कि बच्चे का नाम लिखा हुआ है बच्चा विद्यालय में उपस्थित नहीं है तो इसी तरह से क्या सरकारी स्कूलों में काम नहीं चल सकता सरकारी स्कूलों में रोज उपस्थिति भी बच्चे की चाहिए सारी चीजे होनी चाहिए लेकिन प्राइवेट स्कूल में इतनी फीस देने के बाद भी बच्चा घर पर रहकर जो पढ़ाई कर रहा है और अच्छा पढ़ रहा है यूट्यूब के माध्यम से पढ़ रहा है ऑनलाइन कोचिंग लेकर पढ़ रहा है लेकिन इतने बड़े-बड़े स्कूल है कि स्कूल का नाम तो मैं नहीं खोलना चाहती लेकिन काफी बड़े-बड़े जो अमरोहा के नामवर स्कूल हैं उनमें जितने बच्चे ज्यादातर बच्चे ऐसे होते हैं कि जो सफलता हासिल करते हैं और वह डमी स्टूडेंट होते हैं डमी शब्द सुनने में बड़ा अटपटा सा लगता है की डमी आखिर है क्या लेकिन यही डमी स्टूडेंट जो होते हैं वह आगे चलकर डॉक्टर और इंजीनियर बनते हैं अब अगर बच्चों को इसी तरीके से शिक्षा प्राप्त करनी है तो यह काम कुछ बच्चों के लिए ना हो के सभी बच्चों के लिए होना चाहिए कक्षा 10 के बाद 11 और 12 में जब डमी स्टूडेंट है तो सारे ही डमी स्टूडेंट होने चाहिए फिर बाकी बच्चों की क्लास क्यों लगती है बाकी बच्चों को क्यों स्कूल बुलाया जाता है भाई जिस तरीके से वह बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं उसे तरीके से दूसरे बच्चे शिक्षा क्यों नहीं प्राप्त कर सकते समानता का अधिकार उन बच्चों से छीन लिया गया जो बच्चे प्रतिदिन विद्यालय जाते हैं जिनकी वजह से विद्यालय में भीड़भाड़ है जिनकी वजह से विद्यालय में शिक्षकों को सैलरी मिलती है अहम रोल तो उन बच्चों का है जो प्रतिदिन विद्यालय जाते हैं ना कि उन बच्चों का जो डमी स्टूडेंट है और जो बच्चे प्रतिदिन विद्यालय जाते हैं उनका नाम विद्यालय की किसी दीवार पर आपको नहीं मिलेगा कहीं किसी भी जगह आपको उनका नाम नहीं मिलेगा सिर्फ जो डमी स्टूडेंट है उनका नाम आपको सब जगह मिलेगा उनके ना तो 11 वीं के नंबर देखे जाते हैं ना ही उनके ट्वेल्थ के नंबर देखे जाते हैं बस वह बच्चे कंप्टीशन निकाल लेते हैं क्योंकि वह 11वीं की पढ़ाई ना करके 12वीं की पढ़ाई ना करके कंप्टीशन की तैयारी करते हैं और 11वीं और 12वीं को सामान्य तरीके से पढ़ते हैं जबकि कुछ माता-पिता ऐसे हैं जो अपने बच्चों को 11वीं और 12वीं में पढ़ाई करने के लिए बाध्य करते हैं कि तुम्हें पढ़ना है ट्यूशन भी लगवाते हैं वह जो डमी स्टूडेंट है ना तो उनके ट्यूशन लगते हैं ज्यादा ऑनलाइन क्लासेस लेते हैं वह और उसके बाद भी सफलता हासिल करते हैं मेरा बस सवाल यह है कि आखिर यह डमी स्टूडेंट का जन्म कब से हुआ और प्राइवेट स्कूलों में यह प्रथा कब से चली पिछले समय से प्रथा नहीं थी अभी कुछ सालों से यह नया शब्द हमें सुनने को मिला की डमी स्टूडेंट तो आखिर में अपनी बात को समाप्त इस तरह से करूंगी की डमी स्टूडेंट वहां तो हो सकते हैं प्राइवेट स्कूल में सरकारी स्कूल में डमी स्टूडेंट नहीं हो सकते हम उन बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से काम भी भेजते हैं और ऑफलाइन माध्यम से भी काम भेजते हैं जो बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते है उनके घर हम वर्कशीट भी भेजते हैं क्योंकि कुछ बच्चे ऐसे हैं जो गेहूं की कटाई में लगे हुए हैं कुछ बच्चे ऐसे हैं जो भूसा भर रहे हैं कुछ बच्चे ऐसे हैं जो और काम कर रहे हैं जिससे उनका घर चल रहा है उनकी जीविका चल रही है तो वह विद्यालय में 6 दिन उपस्थित नहीं हो सकते तो इस बात के लिए बातें करना बेकार है और एक तरीके से स्टूडेंट्स को परेशान करना सरकारी स्कूल के टीचर्स को बुरा कहना उन पर प्रेशर बनाना के शत प्रतिशत उपस्थिति हो।
हिना खुर्शीद
सहायक अध्यापिका
कंपोजिट स्कूल मुकारी
ब्लॉक अमरोहा
जनपद अमरोहा

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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