डॉ. दीपक अग्रवाल की हकीकत बयां करती रिपोर्ट
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
अमरोहा के जिलाधिकारी राजेश कुमार त्यागी, मुख्य विकास अधिकारी अश्वनी कुमार मिश्र संग तमाम उनके साथी बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़े हैं। क्यों!/ इस पर सरकार को शोध कराकर परिषदीय स्कूलों की दशा व दिशा तय करनी चाहिए।
इन दिनों बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश को लेकर खींचतान चल रही र्है। तमाम स्कूलों में छात्र संख्या बहुत कम हैं। स्कूलों में चार दशक पूर्व की तुलना में संसाधन बहुत उम्दा हैं और शिक्षक भी उच्च शिक्षित हैं लेकिन अभिभावक तमाम सुविधाएं मिलने के बाद भी परिषदीय स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार नहींे हैं। इस पर शोध की जरूरत है।
शोध का दूसरा विषय यह है कि क्या वजह है चार दशक पहले जब हर गांव में स्कूल नहीं होता था बच्चे दूर के गांव में पढ़ने जाते थे। इसकी एक बानगी अमरोहा के जिलाधिकारी राजेश कुमार त्यागी और मुख्य विकास अधिकारी अश्वनी कुमार मिश्र हैं संग अन्य अफसर हैं जो परिषद स्कूलों में पढ़ने जाते थे।
उक्त अधिकारियों के अलावा चार से पांच दशक पहले जिन्होंने भी पढ़ाई की है अधिकतर बच्चे गांव के प्राथमिक विद्यालयों, उच्च प्राथमिक विद्यालयों और राजकीय इंटर कॉलेजों में ही पढ़ते थे। आज किसी अफसर/कर्मचारी/शिक्षक का बच्चा सरकारी प्राथमिक स्कूल में क्यों नहीं पढ़ रहा। आज किसी राजनेता का बच्चा सरकारी प्राथमिक स्कूल में क्यों नहीं पढ़ रहा।
इन बिंदुओं पर सरकार को शोध कराकर मंथन करना चाहिए और बेसिक स्कूलों में पढ़ाई की दशा व दशा तय करनी चाहिए।