डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
‘रात‘
खूबसूरत रात के जगमगाते जुगनू,
नदी से साफ आकाश में झिलमिलातें।
गपियाते, हंसते तारों का ग्रुप,
ठंडे दूध सा चमकता इठलाता चांद।
खुशबूदार चाँदनी और खबरे लाती,
हवाओं का पेड़ों से बतियाना।
उफ! ये नजारा,
कितना सुकून देता तन मन को।
पर अफसोस!
नहीं है आज किसी के पास समय।
अपने इन दोस्तों से मिलने का,
अरसे से इनके साथ की गई बातों का।
बोझिल मन थकी आंखें,
जूझ रहीं झूठे मैसेज और फोटो से मोबाइल पर।
नहीं समय बरसाती सौंधी मिट्टी को सूंघने का,
इंद्रधनुषी चमकते रंगांे को मन में उतारने का।
नहीं समय सूरज की बातों को सुनने का,
नहीं समय बच्चों की तोतली खुशबुओं के लिए।
कविता किताबे थक गईं आवाज लगाते-लगाते,
जागो-जागो लौट आओ अपनों के बीच।
डॉ.शुचि शर्मा
बिजनौर।