डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
श्री वैन्केटेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान में विश्व खाद्य दिवस पर “खाद्य सुरक्षा के लिए मृदा में जैविक कार्बन बढ़ाने की नीतियां” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार एवं “मोटे अनाज व आर्गेनिक खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मिट्टी की सेहत सुधारने पर बल दिया गया।
ऐसे बना सकते हैं अमृत मिट्टी
-अंधाधुंध रसायनों एवं कृत्रिम खाद्य के प्रयोग से बंजर होती जमीन को गोबर, गौमूत्र, गुड़ एवं हरी खाद द्वारा ना सिर्फ फिर से उपजाऊ ‘अमृत मिट्टी’ बनाया जा सकता है, बल्कि दोगुनी पैदावार बढ़ाकर केमिकल रहित शुद्ध खाद्यान्न उगाकर अपनी सेहत में नये रंग भर सकते है- प्रो. (डा.) यशवीर सिंह ‘शिवाय’ विश्व के पहले पांच कृषि वैज्ञानिकों में शुमार, प्रधान वैज्ञानिक आई.ए.आर.आई. पूसा, नयी दिल्ली -“स्वस्थ भारत दृ समृद्ध भारत” का सपना ‘जैविक खेती’ एवं ‘हरित क्रांति’ द्वारा ही होगा साकार सुधीर गिरि, संस्थापक अध्यक्ष श्री वैन्केटेश्वरा शैक्षणिक समूह।
जमीन की सेहत का निशुल्क परीक्षण
-आगामी फरवरी माह से “मृदा परीक्षण लैब” शुरू होने से पश्चिमी यू.पी. के किसानों की “जमीन की सेहत” का परीक्षण वैन्केटेश्वरा में होगा निशुल्कः डा. राजीव त्यागी, प्रतिकुलाधिपति श्री वैन्केटेश्वरा विश्वविद्यालय एवं आधिकारिक प्रतिनिधि संस्थापक अध्यक्ष
जैविक कार्बन बढ़ाने की रणनीति
आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वैन्केटेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान में “स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज” की ओर से विश्व खाद्य दिवस पर “खाद्य सुरक्षा के लिए मृदा में जैविक कार्बन बढ़ाने की रणनीति” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न हिस्सों से आये एक दर्जन से अधिक कृषि वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे विश्व के पहले पांच कृषि वैज्ञानिकों में शुमार “इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च संस्थान” पूसा के प्रधान वैज्ञानिक प्रो. (डा.) यशवीर सिंह ‘शिवाय’ ने कहा हमारी सेहत सीधे तौर पर “मिट्टी की सेहत” से जुड़ी है।आज अंधाधुंध रसायनों एवं कृत्रिम खाद के बेतहाशा प्रयोग से यदि हम तेजी से ‘बंजर’ होती भूमि को बचाने के साथ-साथ खाद्य पदार्थों में बढ़ते रसायनों एवं कीटनाशकों से होने वाली कैंसर, अल्सर समेत सैकड़ों बिमारियों से अपने आप को बचाना चाहते है तो हमे फिर से ‘जैविक खेती’ की ओर लौटना होगा।मोटे अनाज एवं रसायनविहीन खाद्य पदार्थों को अपनी ‘डाईट’ में शुमार करना होगा।फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृत्रिम रासायनिक खादों के बजाय, गोबर, गोमूत्र गुड़, सूखे पत्तों को खाद के तौर पर उपयोग में लाना होगा।
जैविक खेती को बढ़ावा देने का संकल्प
-इस अवसर पर एग्रीकल्चर के छात्र-छात्राओं ने “ऑर्गेनिक मोटे अनाज एवं खाद्य पदार्थों” के विभिन्न स्टाल लगाकर जैविक खेती को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। मुख्य अतिथि ने संस्थान प्रबंधन के साथ मिलकर विजेता छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
-श्री वैन्केटेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान के सरदार पटेल सभागार में “स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर” की ओर से “विश्व खाद्य दिवस” पर आयोजित खाद्य सुरक्षा के लिए “मृदा में जैविक कार्बन बढ़ाने की नीतियों” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ संस्थापक अध्यक्ष सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डा. राजीव त्यागी मुख्य अतिथि प्रो. (डा.) यशवीर सिंह, कुलपति प्रो. (डा.) कृष्ण कान्त दवे, डीन एग्रीकल्चर डा. टी.पी.सिंह आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
इन्होंने भी विचार व्यक्त किए
-विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार को प्रतिकुलाधिपति डा. राजीव त्यागी, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय एवं कुमाऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विख्यात कृषि वैज्ञानिक प्रो.वी.पी.एस.अरोड़ा, सरदार पटेल विश्वविद्यालय के प्रधान वैज्ञानिक प्रो. (डा.) राजवीर सिंह, कुलपति प्रो. कृष्ण कान्त दवे, कृषि वैज्ञानिक एवं संगोष्ठी के मुख्य आयोजक डा. टी.पी. सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया।
ये मौजूद रहे
-इस अवसर पर कुलसचिव डा. पीयूष पांडे, डीन एग्रीकल्चर डा. टी.पी. सिंह, डा. सी.पी. सिंह, डा. अभिषेक सिंह, डा. माता प्रसाद, डा. लक्ष्मीकान्त, डा. ज्योति सिंह, डा. विनय कुमार सिंह, डा. शेषनाथ मिश्रा, डा. वरुण त्रिपाठी, डा. आशिया वाहिद, डा. चन्द्रकान्त, डा. कौशल कुमार, उदित तिवारी एवं मेरठ परिसर से डा. प्रताप सिंह, विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शानदार संचालन डा. ज्योति सिंह ने किया।