डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
13 नवंबर 2024 को जे.एस. हिंदू पी.जी. कॉलेज, अमरोहा के शोध एवं स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के सौजन्य से हिंदी के मूर्धन्य कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की जयंती के अवसर पर मुक्तिबोधः श्रंद्धाजलि,स्मरण एवं काव्य पाठ विषयक एक कार्यक्रम आयोजित हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उपप्राचार्य प्रोफेसर डॉ. बीना रुस्तगी ने कहा कि मुक्तिबोध ने अपनी कविताओं के माध्यम से सौंदर्य की बनी बनाई परिपाटी को तोड़कर उसे यथार्थ के साथ संबद्ध किया। उनकी कविताओं में भारत का सच्चा समाज बोलता है। डॉ. सविता राणा ने अपने वक्तव्य में मुक्तिबोध को याद करते हुए कहा कि मुक्तिबोध की व्यापक दृष्टि का पता उनके साहित्य को देखकर चलता है।वे बेहद पैनी निगाह रखने वाले साहित्यकार थे।
समाज के अंतर्मन को झकझोरेने वाले कवि
डॉ. विशेष कुमार राय ने मुक्तिबोध की कुछ प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया।अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि प्रतिबद्धता और मुक्तिबोध की कविताओं का रिश्ता बेहद गहरा है।वे समाज के अंतर्मन को झकझोरेने वाले कवि थे।डॉ. रणदेव ने मुक्तिबोध काव्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया।उन्होंने कहा कि मुक्तिबोध एक सजग कथाकार और जागरूक पत्रकार भी थे इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होती।डॉ. ऋतुराज यादव ने कहा कि मुक्तिबोध का आलोचनात्मक लेखन साहित्य का अनिवार्य विस्तार करता है।वह उनके रचनात्मक संघर्ष और आत्मसंषर्ष का ही हिस्सा है।.डॉ. जावेद ने मुक्तिबोध के जीवन संघर्ष को याद करते हुए कहा कि मुक्तिबोध हिंदी की काव्य परंपरा में एकदम अलहदा शख्स थे,वे किसी परम्परा के नहीं थे लेकिन उनकी परम्परा हिंदी साहित्य के साथ ही समाज को भी पतन से बचा सकती है।
इस मौके पर डॉ. राजीव ने बताया कि एक साहित्यिक की डायरी’, ‘कामायनी एक पुनर्विचार’, ‘नयी कविता का आत्मसंघर्ष’, ‘नए साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र’ तथा ‘भारत इतिहास और संस्कृति’ मुक्तिबोध की महत्वपूर्ण आलोचनात्मक कृतियाँ हैं। डॉ. नागेंद्र प्रसाद मौर्य ने विलियम ब्लेक के साहित्य का जिक्र करते हुए मुक्तिबोध को एक सचेत रचनाकार बताया।छात्र छात्राओं में नीशू जोशी,सुहावना,वंशिका,चंचल और मयंक ने मुक्तिबोध साहित्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया और उनकी कविताओं का पाठ किया।कार्यक्रम में डॉक्टर देवेंद्र कुमार,अल्शिफा नूर,बबली, रेशू जोशी,उमा,अजय कुमार,मेघा दिवाकर आदि विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सविता ने किया ।