डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
30 नवंबर 2024 को जे.एस.हिंदू पी.जी.कॉलेज, अमरोहा के शोध एवं स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के सौजन्य से प्रख्यात साहित्यकार मैत्रेयी पुष्पा की जयंती के अवसर पर एक विभागीय गोष्ठी आयोजित की गई।
हिंदी कथा साहित्य में उनका विशेष स्थान
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर बीना रुस्तगी ने कहा कि हिंदी कथा साहित्य में उनका विशेष स्थान है।अपनी रचनाओं में उन्होंने समाज की विभिन्न समस्याओं को चित्रित किया।वे बहुत संवेदनशील रचनाकार थीं सो उनके साहित्य में समाज के तमाम उपेक्षित तबके जगह पाते हैं।वरिष्ठ प्राध्यापक डॉक्टर बबलू सिंह ने अपने वक्तव्य में उनकी आत्मकथा पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि उनकी कृतियों में स्त्री जीवन संघर्ष को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।स्त्री रचनाकारों में उनका अग्रणी स्थान है।डॉक्टर सविता राणा ने कहा कि अपने अधिकांश कथा साहित्य में उन्होंने बुंदेली जीवन और संस्कृति को आधार बनाया है।वे हिंदी साहित्य में एक अनिवार्य विस्तार करती हैं।उनका मानना था कि साहित्य निडर और निर्भीक बनाता है।
स्त्री जीवन के तमाम पक्षों को पेश किया
डॉक्टर विशेष कुमार राय ने बताया कि मैत्रेयी पुष्पा ने अपने साहित्य के जरिए स्त्री जीवन के तमाम पक्षों को बड़ी बेबाकी से हमारे सामने पेश किया।स्त्री मुद्दों पर इतनी साफगोई हिंदी में उनसे पहले नहीं दिखाई देती।उन्होंने अपने मुखर सवालों के जरिए आलोचना को एक नई निगाह दी ।डॉक्टर रणदेव ने कहा कि साहित्य में उनके द्वारा किए गए योगदान के लिए उन्हें प्रेमचंद सम्मान, हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, कथाक्रम सम्मान व राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त सम्मान,सार्क लिटरेरी पुरस्कार इत्यादि सम्मान दिए गए।डॉक्टर ऋतुराज यादव ने बताया कि उनकी कहानियों में ग्रामीण समाज जीवंत हो उठता है।उनके कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन संघर्ष को उसके यथार्थ रूप में दिखाया गया है।डॉक्टर जावेद ने उनके साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कस्तूरी कुंडली बसैं, बेतवा बहती रही, स्मृति दंश, फैसला, सिस्टर, अब फूल नहीं खिलते, गुड़िया भीतर गुड़िया आदि उनकी महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने मैत्रेयी पुष्पा रचित साहित्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया।