डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
आज विद्यालय की सबसे अनुशासित कक्षा 8 से बड़ा शोर आ रहा था। आशा मैडम कक्षा में प्रवेश करतीं हैं तो वह देखती हैं कि प्रियांशी को घेरे सभी बच्चे खड़े हैं और वह जोर- जोर से रो रही है ,आशा मैडम घबरा जाती हैं क्योंकि वह स्वयं भी कहीं ना कहीं मन से लगाव रखती थी प्रियांशी से। और लगाव का मुख्य कारण था प्रियांशी का सुंदर- सरल रूप के साथ-साथ उसका कंप्यूटर जैसा दिमाग भी था सभी विषयों में अव्वल पेंटिंग ,नाटक , खेल- कूदआदि सभी विद्यालयी गतिविधियों में प्रथम स्थान जो रहता उसका। ऑल राउंडर कह सकते है।
मैडम के पूछने पर बच्चों ने बताया कि आज प्रियांशी की पांचवी बहन पैदा हुई है। प्रियांशी बताती है कि मैडम हमारी नानी के गांव में एक भगत ने बताया था कि इस बार भैया ही होगा।
मैडम मेरी मम्मी बहुत रो रही है यह कहते हुए वह फिर रोने लगी।
मैडम प्रियांशी के आंसू पोंछती है व उसे समझातीं है कि लड़का- लड़की दोनों ही समान होते हैं जो काम लड़के कर सकते हैं वही काम लड़कियां भी और तुम! तुम तो पढ़ाई में इतनी होशियार हो तुम्हें तो पढ़ लिखकर एक बड़ा अधिकारी बनना है, बड़ा अधिकारी बेटा।
प्रियांशी अपने आंसू को पोछते हुए मैडम की तरफ देखती है अब उसके चेहरे की चमक उसके द्वारा लिये गये निर्णय का प्रतिबिम्ब स्पष्ट झलका जो रहा था।
श्वेता सक्सेना
गजरौला, अमरोहा।