डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
शंकर भगवान का संगम में नहाने का वर्णन -दत्तात्रेय कहते हैं- राजन ,प्रजापति ने पापों के नाश के लिए प्रयाग तीर्थ की रचना की। सफेद गंगा जी और काली यमुना जी के जल की धारा में स्नान का माहात्म्य भली प्रकार सुनो ,जो इस संगम में माघ मास में स्नान करता है ,वह गर्भ योनि में नहीं आता ।भगवान विष्णु की दुर्गम् माया माघ में प्रयाग तीर्थ पर सब नष्ट कर देती है। प्रयाग में स्नान करने से मनुष्य अच्छे भोगों को भोगकर ब्रह्म को प्राप्त होता है ।मकर के सूर्य में जो स्नान प्रयाग में करता है ,उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर सकता ।जो पुण्य 100 वर्ष निराहार रहकर नहीं मिलता ,वह तीन दिन प्रयाग में नहाने से मिल जाता है। जैसे सर्प पुरानी कांचली को छोड़कर नया रूप ग्रहण कर लेता है ,वैसे ही त्रिवेणी में स्नान करके सब पापों से छूट जाता है और स्वर्ग को प्राप्त है यह जल अमृत के समान है ,यही त्रिवेणी है, यहां शंकर पार्वती आदि सभी देव वास करते हैं। लक्ष्मी, शची ,नैना ,दिति ,अदिति संपूर्ण देव पत्नियां स्नान करने को आते हैं ।यहां ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने की इच्छा की थी।
मुन्नी देवी
जवाहर गंज मंडी
गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)
त्रिवेणी स्नान
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