डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
…. मैं अपने जैसी…
यंू तो नहीं हूं मैं सबके जैसी ,
पर अच्छा है कि हूं मैं अपने जैसी।
नहीं आता है झूठा वादा करना मुझे,
वादा किया तो आता है निभाना मुझे।
यंू तो नहीं समझ सका कोई मुझे मेरे जैसा
क्योंकि सबने देखा मुझे खुद उनके जैसा।
है नहीं चालाकी और समझदारी सबके जैसी,
हूं नादान और निःस्वार्थ भाव जैसी।
कोई तो होगा जो समझ सके मुझे मेरे जैसा,
मिलेगा मुझे वो प्रकृति का दिया अनमोल तोहफा जैसा।
आसान नहीं है समझना और चाहना मुझे,
पर होगा कोई समझने वाला मुझे।
साथ जिसके रह सकूं मैं बच्चों जैसी,
यू तो नहीं हूं मैं सबके जैसी।
पर अच्छा है कि हूं मैं अपने जैसी।
रक्षा सचान
छात्रा प्रथम वर्ष: बी.एच.एम.एस.
सिंह साहब होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज
गुलड़िया-अमरोहा (उत्तर प्रदेश)