डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
अमरोहा। अंतरराष्ट्रीय वेद कथावाचक आचार्य संजीव रूप ने कहा कि होली का पर्व गिले-शिकवे दूर कर आपासी सौहार्द को मजबूत करने और पर्यावरण की शुद्धि का पर्व है।
13 मार्च को आर्य समाज अमरोहा के तत्वावधान में होली का पर्व उत्साह और उमंग से मनाया गया। सर्वप्रथम आर्य समाज की यज्ञशाला में आचार्य संजीव रूप और आचार्य सोमेश शास्त्री के ब्रह्मत्व में सभी के कल्याण के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया। इसमंे मुख्य यजमान विनय प्रकाश आर्य-अंजू आर्य, डॉ. अशोक रुस्तगी-डॉ. बीना रुस्तगी, सत्य खुराना-प्रिया खुराना और अश्वनी खुराना-मधु खुराना रहे।
पर्व खुशियों की सौगात देते
इस अवसर पर होली के महत्व को कविता के माध्यम से इंगित करने हुए आचार्य संजीव रूप ने कहा कि गलती पर क्षमा मांगना और क्षमा करना दोनों ही बड़े गुण है। होली हमें पुरानी गलतियों और गिले-शिकवे दूर कर गले मिलने की सीख देती है। उन्होंने बताया कि पर्व खुशियों की सौगात देते हैं लेकिन इनमें समाहित बुराइयां पर्वोे के महत्व को कम रही हैं। हमें होली में लकड़ियों का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है। प्रदूषण को दूर करने के लिए होली में हवन सामग्री व देशी घी का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
होली का पर्व नवीनता का संदेश देता
इस अवसर पर केए पीजी कालेज कासगंज के प्राचार्य डॉ. अशोक रुस्तगी ने कहा कि होली का पर्व नवीनता का संदेश देता हैं हमें भी नवीन संकल्पों के साथ जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। दिलशाद गार्डन दिल्ली आर्यसमाज के प्रधान सतपाल अरोरा ने महर्षि दयानंद के योगदान पर रोशनी डाली। राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक और हिंदी के प्रचार-प्रसार को समर्पित विख्यात हिंदी प्रेमी डॉ.यतींद्र कटारिया ने कहा कि आर्यसमाज समरसता का संदेश देता है।
आर्यसमाज के प्रधान अभय आर्य ने होली के महत्व पर रचना प्रस्तुत की। आर्यसमाज के मंत्री नत्थू सिंह और कोषाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। बाद मंे सभी ने फूलों की होली खेलकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं। होली के प्रसाद का वितरण किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में आर्यजन मौजूद रहे।
रात को साढ़े सात बजे कोट चौराहे पर भव्य यज्ञ कर सभी के कल्याण और समाज में खुशहाली के लिए आहुतियां दी गई। इसमें आर्यजनों संग शहरवासियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की।
पर्यावरण शुद्धि और सौहार्द को मजबूत करती होलीः आचार्य संजीव रूप
